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विदा लेने वाला है सावन

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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विदा लेने वाला है सावन,
अब तो पिया मिलने आओ
बीत चली बरसात सावन की,
एक बार आकर गले लगाओ।

ये ज़िन्दगी और मौत का,
कभी होता नहीं ठिकाना
लगता है अब सपना होगा,
सावन में दोनों का मिल जाना।

रूठ ही जाएगा प्यारा सावन,
बागों में झूला बंधा रहेगा
सखी देख के हँसती रहेगी,
यदि तेरा नहीं हुआ आगमन।

जाने अबके बरस सावन,
लौट कर आएगा चाहे नहीं।
बीतने वाली है चाँदनी रात,
संग में सावन की ये बरसात॥

परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है