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वीर सैनिकों का शौर्य और सम्मान आज भी अमिट

 

अजय जैन ‘विकल्प
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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आज २० साल बाद भी देश का हर व्यक्ति कारगिल युद्ध की शानदार जीत और हरल्ले देश पाकिस्तान की कायराना हरकतों को भूला नही है। कहना गलत नही होगा कि,भारत ने कारगिल की लड़ाई से पहले और बाद में भी विकास किया है,और अमन की राह छोड़ी नहीं है। नाम ‘पाक’ रखकर भी नापाक काम यानि आतंक फैलाने वाले निकम्मे देश को भारत के वीर सेनानियों ने १९९९ में भी धूल ही चटाई थी। इस युद्ध में भारत के ५२७ वीरों ने अपनी आहुति देकर देश की आन-बान-शान को और बढ़ाया। इसमें भारत के लड़ाकू शेर मेजर पद्मपाणि आचार्य,मेजर राजेश,स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा,फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता के साथ ही कैप्टन विक्रम बत्रा,कैप्टन सौरभ कालिया, कैप्टन अनुज नायर एवं लेफ्टिनेंट मनोज पांडे ने अपनी वीरता से दुश्मन के दाँत खट्टे किए,और अपना नाम इतिहास में अमर कर गए।
१९९९ में पाकिस्तान ने कारगिल चोटी पर चोरी से हमला करने के लिए कायराना हरकत की,जिसका भारत देश ने अपनी बाहुबली सेनाओं के जरिए मुँहतोड़ जवाब दिया,पर घोर आश्चर्य है कि,भारत ने इतने वर्षों में प्रगति के कई सोपानों को पा लिया है,और अंतरिक्ष बनाम चाँद पर बहुत कुछ करने की योजना है,तो ठीक उलट पाकी देश अपना मुँह और आर्थिक कमर टूटने के २० साल बाद भी सुबह-शाम आतंकवाद का ही मंजन एवं भोजन कर रहा है। आतंक को ही अपना हथियार बनाकर ये भारत से खोखली लड़ाई लड़ रहा है।
मजे की बात यह है कि इन सालों में पाकिस्तान की तरक्की,विकास और युवा सब कुछ बर्बादी के मुहाने पर है, तो भारत में उज्ज्वल,लेकिन पाकिस्तान के मुखिया को अभी भी बात समझ में नहीं आई है,जबकि अब तो अमेरिका और चीन ने भी पाकिस्तान को लावारिस की तरह छोड़ दिया है।
कारगिल में पाक को मुँह की चोट दे चुके भारत की तरक्की,सैनिकों के अविस्मरणीय बलिदान और भारतीयों के अटूट-अतुल्य मनोबल से पता चलता है कि,भारत अपने सैन्य बल से हर दुश्मन को हर युद्ध में करारी शिकस्त देने में आज भी सक्षम है,चाहे जमीनी युद्द हो या हवाई युद्ध।
अब पाकिस्तान जैसे सतत पराजित और भुखमरे देशों को समझ जाना चाहिए कि कारगिल में युद्ध हो, या राजनीतिक लड़ाई,जीतेगा तो भारत ही,क्योंकि जिस देश में करोड़ों युवाओं को जहाँ खुद से ज्यादा देश की सीमाओं की रक्षा में तैनात वीरों पर भरोसा हो,उस अमन पसंद देश से कोई देश कभी लड़ेगा नहीं,लड़ा तो जीतेगा नहीं।
‘कारगिल विजय दिवस’ आज भी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण दिवस है। इसे हर साल २६ जुलाई को मनाया जाता है,ताकि कारगिल में करीब ६० दिन तक चले युद्ध की यादें जानी जा सके,और समझा जा सके कि,देश यूँ ही सुरक्षित और राष्ट्रप्रेम से पूरित नही है। इसके हर समर में हर सैनिक और नागरिक ने अपनी जान की परवाह नहीं की है। इस युद्ध का अंत २६ जुलाई को हुआ, जिसमें भारत की विजय हुई। इस दिन को हर साल भारत में कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों के सम्मान हेतु मनाया जाता है। १९७१ के भारत-पाक युद्ध के बाद भी पाकिस्तान सुधरा नहीं है,कारगिल में हुई लड़ाई इसका साफ सबूत है। दोनों देशों द्वारा बीते वर्षों में परमाणु परीक्षण के बाद तनाव और बढ़ गया था,जिसे शांत करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी १९९९ में लाहौर में घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किए,दोस्ती करके भी पीठ में खंजर घोंपने के आदी पाकिस्तान ने अपने सैनिकों और अर्ध-सैनिक बलों को छिपाकर नियंत्रण रेखा के पार भेजना जारी रखा। इस घुसपैठ का नाम ‘ऑपरेशन बद्र’ रखा था,जिसका मकसद भारत के हिस्से कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना एवं भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटाना था। भारत ने नियंत्रण रेखा में खोज के बाद और इन घुसपैठियों की रणनीति का पता चलने के बाद समझ लिया था कि हमले की योजना बहुत बड़े पैमाने पर तैयार की गई है। तब भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन विजय’ नाम से २,००,००० सैनिकों को मैदान में उतारा। यह युद्ध आधिकारिक रूप से २६ जुलाई १९९९ को समाप्त हुआ,जिसमें भारत के ५२७ वीर सैनिकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया। इसी के निमित्त हर बरस २६ जुलाई को इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति पर कारगिल की वर्षगांठ मनाई जाती है।
आज जब २६ जुलाई २०१९ को हम कारगिल युद्ध की विजय का जश्न मना रहे हैं तो तो सभी शांति पसंद देशों को यह चिंतन-मनन अवश्य करना चाहिए कि आतंक से कभी किसी का भला हो ही नहीं सकता है। ६० दिन चले इस युद्ध में भारतीय सैनिकों ने जिस अदम्य साहस और वीरता का प्रदर्शन किया,उसकी याद २० साल बाद भी हर भारतवासी के मन में अमिट है। देश का एक भी नागरिक इस बलिदान को भुला नहीं सकेगा,क्योंकि भारत का हर वासी देश की खातिर बलिदान देने में तत्पर है,और मानवता-शांति निभाने में भी। वीर सैनिकों को सादर नमन,साहस को प्रणाम।

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