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स्मरण शिखर के संघर्ष का

जीवनदान चारण ‘अबोध’  
पोकरण(राजस्थान) 
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कारगिल विजय दिवस स्पर्धा विशेष……….


भूले नहीं हम दुर्गम,ऊँचे प्रखर,प्रस्तर,पाषाणों को,
माह मई सन् निन्यानवे जिन पर खेला होली को।

कारगिल केवल युद्ध नहीं,वीरों की अमर कहानी है,
घाटी में लड़ा हर वीर सपूत,माँ भारत का सेनानी है।

मिग-२७ संग नचिकेता,अमरीकी जेट जला गया,
मातृभूमि की बलिवेदी पर,प्राणों को तिल-तिल चढ़ा गया।

देख शहादत की लाशों को,हृदय सभी का डोल गया,
माँ भारती के वीर सपूतों का,जलवा जगत में बोल गया।

मारा जाना जरूरी था,गजनी के निर्दयी चूहों को,
घाटी में घात लगा बैठे गजनी के सरदारों को।

लेकिन तुमको भूल गए जो,वो किस्मत के मारे हैं,
कुछ लोगों को आतंकी,बुरहान कन्हैया प्यारे हैं।

आज तुम्हारी कुर्बानी के पृष्ठ टटोले जाते हैं,
भारत की बर्बादी वाले नारे बोले जाते हैं।

कवि जीवन ‘अबोध’ मगर बलिदानी गाथा गायेगा,
सदा शहीदों की यादों का दिल में दीप जलाएगा।
सदा शहीदों की यादों का दिल में दीप जलाएगा॥

परिचय-जीवनदान चारण का बसेरा  पोकरण(राजस्थान) में है। ‘अबोध’  आपका साहित्यिक उपनाम है। इनकी जन्म तारीख १३ जुलाई १९९४ एवं जन्म स्थान गांव पोस्ट आरंग है। श्री चारण का स्थाई पता आरंग(जिला बाड़मेर)है। परम्पराओं के लिए प्रसिद्ध राज्य राजस्थान के अबोध ने बी.एड. सहित बी.ए. और एम.ए. की पढ़ाई की है। आपका कार्यक्षेत्र अध्यापक (विद्यालय-पोकरण) का है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आप समाज सुधार,प्रचलित कुप्रथाओं को दूर करने के लिए अपने विचारों से सतत सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा-दोहे,श्लोक,ग़ज़ल, कविता(विशेष-संस्कृत में गीत,श्लोक, सुभाषित, लेख भी।) है। प्रकाशन में  ‘कलम और कटार’ (किताब)आपके नाम है तो रचनाओं का प्रकाशन पत्र-पत्रिका में भी हो चुका है। आपकी विशेष उपलब्धि-संस्कृत साहित्य में लेखन करना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-ईश्वर उपासना,देवी गुणगान और देशभक्ति है।  आपके लिए प्रेरणा पुंज स्वामी विवेकानंद जी हैं।

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