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व्यापक सुधार की बहुत गुन्जाइश

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’
बीकानेर(राजस्थान)
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‘परिवहन दिवस’ (१० नवम्बर) विशेष…

हमारे देश में हर साल १० नवम्बर को ‘परिवहन दिवस’ पर नागरिकों विशेषकर छात्रों को आजादी मिलने वाले साल से लेकर आज तक यातायात के क्षेत्र में देश ने जो उन्नति की है, उसकी विस्तार से जानकारी दी जाती है। इन संगोष्ठियों में यातायात नियमों व दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी भी दी जाती है।
जब हम छोटे थे, तब सड़कें खाली-खाली मिलती थीं। साईकिल खूब दौड़ती थी, रिक्शे भी चलते थे। इसके अलावा बामुश्किल इक्के- दुक्के दो या चार पहियों वाली गाड़ियाँ भी नजर आ जाती थीं। यही कारण था कि, पेट्रोल भरवाने के लिए सरकारी मुख्य कार्यालय के पास जाना पड़ता था। कारण कि, वहीं वह सुविधा उपलब्ध थी। जहाँ तक रेल का सवाल है, तो दूरगामी रेलें ही चलती थी वो भी कोयले के सहारे अर्थात इंजन में कोयले का उपयोग कर। यह भी जान लें कि, साधारणतया वायुयान का विदेश जाने के लिए ही उपयोग किया जाता था, जबकि साधारण लोगों के लिए नौका एक बहुत ही कारगर आवागमन का साधन था। इस तरह इन सालों में पर्यावरण शुद्ध था, कम आय में भी लोगों का गुजारा आराम से चलता था। सड़क दुर्घटनाएं भी ना के बराबर देखने मिलती थी। हालांकि, नौकाओं की दुर्घटनाओं की खबरें अवश्य ही अन्य के मुकाबले ज्यादा रहती थीं।
समय बदला और बीते कुछ समय में परिवहन के साधनों में तेजी से विस्तार हुआ। अर्थात सड़क से लेकर रेल, हवा और जल परिवहन सभी क्षेत्रों में। इसी कारण से अब अनेक प्रकार के विकसित दुपहिया वाहन के साथ-साथ उन्नत चार पहियों वाले वाहन सड़कों पर दौड़ने लगे। सभी प्रकार के वाहनों का प्रयोग रात-दिन बढ़ने लगा। परिणाम स्वरूप ये सभी प्रकार के वाहन खूब प्रदूषण फैलाने लगे। अर्थात साफ, शुद्ध वातावरण दूषित होना शुरू हो गया। दुर्घटनाएं भी बढ़ने लगीं, इसलिए सरकार ने कठोर नियमों को न केवल बनाया, बल्कि पूरे दम-खम से कार्यान्वित भी किया। उससे दुर्घटनाओं में तो कमी आई, लेकिन प्रदूषण अभी भी समस्या बनी हुई है। सरकार ने जनता में सुरक्षा सम्बन्धित जानकारी प्रचारित करने के लिए अनेक कदम उठाए। गैर सरकारी संगठनों का सहारा लिया, और इस तरह के प्रयासों का दूरगामी लाभ भी मिल रहा है।
प्रदूषण कम करने के लिए सरकार ने वाहनों पर विभिन्न तरह के विभिन्न स्तर पर प्रशासनिक अंकुश लगाना शुरू किया, फलस्वरूप प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की संख्या निरन्तर कम होने लगी। आजकल तो सरकार ने एकदम सख्ती से ऐसे प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को जब्त करना ही शुरू नहीं किया, बल्कि उसे नष्ट करने पर होने वाला खर्च भी वसूलना प्रारम्भ कर दिया है। सख्ती का ही नतीजा है कि अब प्रदूषण फैलाने वाले वाहन खोजे भी नहीं मिलेंगे।
इसके अलावा शहरों में आवागमन की सुविधा के लिए सरकार ने एक तरफ तो कम दूरी वाले द्रुतगति से चलने वाली विद्युत चालित रेलों का ऐसा जाल बिछा दिया, जिससे पूरे दिन अल्प अन्तराल में रेल की उपलब्धता है, तो दूसरी तरफ नागरिकों को उसके उपयोग के लिए प्रेरित करने हेतु किराया बहुत ही कम रखा। फलस्वरूप आजकल ज्यादा शहरी ऐसी रेलों का इत्मिनान से कार्यालय आने-जाने वगैरह में लाभप्रद मानते हैं। विद्युत चालित दुपहिया वाहन के साथ-साथ चार पहियों वाले वाहनों के उत्पादन को प्रोत्साहित कर जनता को भी ऐसे वाहनों की खरीद में विशेष छूट व रियायती ब्याज पर आसान तरीके से बैंक ऋण के माध्यम से निरन्तर बढ़ावा दिया जा रहा है।
उपरोक्त कदमों के चलते प्रदूषण बढ़ नहीं रहा है और आशा यही है कि, आने वाले समय में गिरावट भी परिलक्षित होने लगेगी, जबकि सड़क दुर्घटनाओं में अच्छी-खासी कमी स्पष्ट परिलक्षित हो रही है।

‘परिवहन दिवस’ पर सरकार उपरोक्त उपलब्धियों को जनता के समक्ष रख उनसे सभी तरह से सहयोग करने का आह्वान करती है। इसके अलावा सभी से सार्थक सुझाव भी आमंत्रित करती है। हमें भी जागरूक नागरिक के नाते सही तरीके से अपना-अपना दायित्व ही नहीं निभाना है, बल्कि औरों को भी प्रेरित करते रहना है।