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शब्द-खेती

सच्चिदानंद किरण
भागलपुर (बिहार)
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कविता की खेती-बाड़ी
में कवि बोते हैं,
नित रोज एक-एक कर
शब्द के बीज,
अच्छी नस्ल के शब्द-बीज
से अंकुर जाते हैं।

उर्वर शब्द धरा पर
कवित्व भावों के रसदार,
सुस्वादु कवि की संवेदनाएं
लेकर पल-पल्लवित होते,
अभिव्यक्ति में‌ प्रेरणा को
सुपुष्ट स्पष्ट शब्द-बीज में,
सार्थकीय यथेष्ठ
भावनाओं को समेट-समेट।

प्रकृति-सी सम शीतोष्म
जलवायु के शब्द-कण,
आकाशीय परिधान से
सुशोभित होते हैं,
शब्द के बरसते छन्द
घन-घनघोरी बादलों बीच,
शब्दों की रिम-झिम
काव्य बूंदें झम-झम।

अंर्तमन की शब्दांजलि से
भाव विभोर हो जाते हैं,
कवि की मरूभूमि
धरती शब्दाभिव्यक्त हो,
उर्वरा शब्द शक्ति में
प्राकृत शब्द हरियाली को,
कोरे कागज पर
भावुकता से संलिप्त लेखनी में,
कवि कहीं गिर रहा होता
तो मार्मिक शब्दों के,
प्रहार से,
सहारा देने आ जाते हैं।

‘कविता की खेती-बाड़ी’
शब्द की रणभैरी,
शब्दांकण में शब्द-मार्ग की
सदिष्ट दिशा की ओर,
शब्द-शब्द से जुड़े होकर
कविता सरल सुगम,
बनाने शब्द उर्वरा को
बढ़ाने पवित्र गंगा जलधारा,
अमृत सागर क्षीर में।
समाहित हो मंत्रमुग्ध,
श्रोता स्वर्गायुक्त होते हैं॥

परिचय- सच्चिदानंद साह का साहित्यिक नाम ‘सच्चिदानंद किरण’ है। जन्म ६ फरवरी १९५९ को ग्राम-पैन (भागलपुर) में हुआ है। बिहार वासी श्री साह ने इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की है। आपके साहित्यिक खाते में प्रकाशित पुस्तकों में ‘पंछी आकाश के’, ‘रवि की छवि’ व ‘चंद्रमुखी’ (कविता संग्रह) है। सम्मान में रेलवे मालदा मंडल से राजभाषा से २ सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ (२०१८) से ‘कवि शिरोमणि’, २०१९ में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा मुंबई से ‘साहित्य रत्न’, २०२० में अंतर्राष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान सहित हिंदी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया कैलाश झा किंकर स्मृति सम्मान, तुलसी साहित्य अकादमी (भोपाल) से तुलसी सम्मान, २०२१ में गोरक्ष शक्तिधाम सेवार्थ फाउंडेशन (उज्जैन) से ‘काव्य भूषण’ आदि सम्मान मिले हैं। उपलब्धि देखें तो चित्रकारी करते हैं। आप विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने के साथ ही तुलसी साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष एवं कई साहित्यिक मंच से सक्रियता से जुड़े हुए हैं।

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