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शाकाहारी भोजन का है अपना महत्व

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ 
मनावर(मध्यप्रदेश)
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शाकाहारी और मांसाहारी भोजन करना इंसान की अपनी निजी पसंद होती है। देखा जाए तो शाकाहारी भोजन में स्वास्थ्य के लिए उपयोगी पोषण तत्व रहते ही हैं।शाकाहारी भोजन को विदेशों में पसंद किया जाने लगा है। शाकाहार शरीर और मन, मानवीय संवेदनाओं का सही रूप में पहचान करवाता है। शाकाहार बीज, वनस्पतियों से बनाए आहार को शाकाहार कहा जाता है। इसका उपयोग हमारे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है। भोजन तत्व की हमारे शरीर को आवश्यकता होती है। जैसे-प्रोटीन, वसा, ऊर्जा (कैलोरी) चाहिए, वो शाकाहारी भोजन से पूर्ण हो जाती है। प्राचीन समय से ही जीवन-शैली में शाकाहारी भोजन स्वस्थ्यता का प्रतीक माना गया है। मांसाहार का विज्ञापन टी.वी. विज्ञापन में बड़े जोर-शोर से दिखाया जाता है, वहीं सामाजिक जनसंचार में मांसाहार के नए-नए खाने बनाने की विधियाँ बताई जाती हैं। मांसाहार का इतना महिमा मंडन किसलिए ?, जबकि मांसाहार की दुकानें तो पर्दे में लगती हैं। बुद्धिजीवियों का कथन है कि, व्यंजनों का नामकरण भ्रमित हुआ जा रहा है। जैसे कबाब का अर्थ होता है-भूना हुआ मांस। विवाह एवं अन्य कार्यक्रमों में वहां व्यंजनों के नाम-पनीर कबाब, हॉट कबाब आदि जाने लगे, ताकि कबाब शब्द जबान पर चढ़ जाए और वे भविष्य में कबाब को मांस न समझें। भ्रमित और अपभ्रंश करने वाले शब्दों को प्रयोग करने पर रोक लगे। कभी-कभी मांसाहार भोजन में सदैव एक भय निर्मित होता है। कहीं पशु-पक्षी बीमार या विषाणु ग्रस्त तो नहीं है! अक्सर नए-नए विषाणु बाहरी देशों से पशु-पक्षियों के जरिए मनुष्य में रोगों को जन्म देते आए हैं। पशु-पक्षी तो नए विषाणुओं से ग्रस्त होकर मनुष्य को भी ग्रस्त करते आए हैं, भले ही इनकी रोकथाम हेतु टीके समय-समय पर विकसित किए गए हों।
अब विकसित देशों का झुकाव इस और बढ़ा और उनमें भी शाकाहारी भोजन का अनुसरण करने की सोच विकसित होने लगी है। मांसाहार की तुलना में शाकाहार सस्ता और सुलभ होता है। शाकाहारी भोजन शीघ्र पच कर बीमारियों को आने से रोकता है। स्वस्थ मन रखने और तामसी प्रवृति को दूर करने हेतु शाकाहार भोजन को प्राथमिकता देना आवश्यक है, ताकि शरीर में प्रतिरोध क्षमता बढ़कर जीवन में स्वस्थ्यता का लाभ प्राप्त किया जा सके।

परिचय-संजय वर्मा का साहित्यिक नाम ‘दॄष्टि’ है। २ मई १९६२ को उज्जैन में जन्में श्री वर्मा का स्थाई बसेरा मनावर जिला-धार (म.प्र.)है। भाषा ज्ञान हिंदी और अंग्रेजी का रखते हैं। आपकी शिक्षा हायर सेकंडरी और आयटीआय है। कार्यक्षेत्र-नौकरी( मानचित्रकार के पद पर सरकारी सेवा)है। सामाजिक गतिविधि के तहत समाज की गतिविधियों में सक्रिय हैं। लेखन विधा-गीत,दोहा,हायकु,लघुकथा कहानी,उपन्यास, पिरामिड, कविता, अतुकांत,लेख,पत्र लेखन आदि है। काव्य संग्रह-दरवाजे पर दस्तक,साँझा उपन्यास-खट्टे-मीठे रिश्ते(कनाडा),साझा कहानी संग्रह-सुनो,तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो और लगभग २०० साँझा काव्य संग्रह में आपकी रचनाएँ हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में भी निरंतर ३८ साल से रचनाएँ छप रहीं हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में देश-प्रदेश-विदेश (कनाडा)की विभिन्न संस्थाओं से करीब ५० सम्मान मिले हैं। ब्लॉग पर भी लिखने वाले संजय वर्मा की विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-मातृभाषा हिन्दी के संग साहित्य को बढ़ावा देना है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद,तो प्रेरणा पुंज-कबीर दास हैंL विशेषज्ञता-पत्र लेखन में हैL देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-देश में बेरोजगारी की समस्या दूर हो,महंगाई भी कम हो,महिलाओं पर बलात्कार,उत्पीड़न ,शोषण आदि पर अंकुश लगे और महिलाओं का सम्मान होL