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शाकाहारी होने के अनेक फायदे

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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‘विश्व शाकाहारी दिवस'(१ नवम्बर) विशेष….

आहार का हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। कहा जाता है कि ‘जैसा खाओगे अन्न, वैसा होगा मन, जैसा पियोगे पानी, वैसी होगी वाणी।’ आजकल आहार के नाम पर मांसाहार ,पैक भोजन आदि परोसा जा रहा है, जिससे नित्य नई बीमारियां हो रही है। आहार आरोग्यवर्धक और हानि रहित होना चाहिए। शाकाहार यानी शांतिकारक और आरोग्यवर्धक है।
शाकाहारी भोजन को बढ़ावा देने, जीवन- शैली के स्वास्थ्य और मानवीय लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्ष १ नवम्बर को ‘विश्व शाकाहारी दिवस’ मनाया जाता है। इसकी स्थापना १९७७ में उत्तर अमेरिकी शाकाहारी सोसायटी द्वारा जागरूकता बढ़ाने और जानवरों के जीवन को बचाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने हेतु की गई थी।
शाकाहारी होना ना सिर्फ सेहत के लिए अच्छा है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अच्छा है। शाकाहारी भोजन में कई पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट विकल्प मौजूद होते हैं। शाकाहारी भोजन में मांस, मछली, सी-फूड आदि शामिल नहीं होते हैं, लेकिन डेयरी शामिल होता है। साथ ही वीगन आहार भी एक शाकाहारी आहार ही है, जिसमें मांस आदि कुछ भी शामिल नहीं होते हैं।
शाकाहारी होने के सेहत लाभ को समझें तो
शाकाहारी भोजन में मांस, मछली आदि शामिल नहीं होने से आप उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या से बचे रह सकते हैं। शाकाहारी भोजन के जरिए भी कोलेस्ट्रॉल की आवश्यक मात्रा की पूर्ति कर सकते हैं। उच्च कोलेस्ट्रॉल और वसा होने से मोटापा, हृदय रोग होने का जोखिम बढ़ सकता है।
शाकाहारी भोजन कई तरीकों से हृदय स्वास्थय को भी बढ़ाता है। चूंकि, शाकाहारी खाद्य पदार्थों में फाइबर और असंतृप्त वसा की मात्रा कम होती है, इसलिए दिल स्वस्थ रहता है। फाइबर जैसे पोषक शरीर में कोलेस्ट्रॉल को प्रबंधित करते हैं, साथ ही शाकाहारी भोजन के सेवन से काफी हद तक बढ़ती उम्र में टाइप-2 मधुमेह के जोखिम को कम किया जा सकता है। जब शाकाहारी भोजन करते हैं तो इससे मोटापा और वसा का वितरण नहीं होने से वसायुक्त ऊतक के कारण शरीर इंसुलिन के प्रति अधिक प्रतिरोधी हो जाता है।
जब प्लांट आधारित आहार लेते हैं तो वजन को भी नियंत्रित करने में मदद मिलती है। हालांकि, शाकाहारी से भी आपका वजन बढ़ सकता है। यदि अधिक खाएंगे या अधिक कैलोरी या उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो वजन बढ़ सकता है।
प्लांट-आधारित आहार मस्तिष्क को भी स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि अधिक पौधे-आधारित खाद्य पदार्थों का सेवन मनोभ्रंश (डिमेंशिया), अल्जाइमर और संज्ञानात्मक नुकसान को काफी हद तक कम कर सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इन खाद्य, साबुत अनाज में पॉलीफेनोल्स की मात्रा काफी अधिक होती है।
इतना ही नहीं, शाकाहारी होने पर कई तरह के कैंसर के होने का भी जोखिम कम हो सकता है। पौधों में फाइटोकेमिकल्स होते हैं, जो कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाते हैं। इनमें पोषक, विटामिंस, खनिज भी काफी होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ और मजबूत रखते हैं। लाल और प्रोसेस्ड तरह के मांस का सेवन यदि कम करें तो काफी हद तक कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।
शाकाहारी भोजन करने से पर्यावरण को भी लाभ है कि पशु ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सब्जियों या अनाज की तुलना में अधिक कार्बन फूटप्रिंट होता है। मांसाहारी भोजन पौधे आधारित की तुलना में ढाई गुना अधिक कार्बन उत्सर्जन बढ़ाता है।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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