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शिक्षक…क्या लिखूं !

संजय एम. वासनिक
मुम्बई (महाराष्ट्र)
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शिक्षक दिवस विशेष…

क्या लिखूँ, कैसे लिखूँ, किस पर लिखूँ ?
जिसने लिखना सिखाया, क्या उस पर लिखूँ!

उस पर लिखूँ जिसने दायां-बायाँ,
आड़ा-तिरछा, रेखाएं लिखना सिखाई
आधे गोले से, पूरे गोले को ही नहीं
अपितु अक्षरों को बनाना सिखाया।

हाथ जो कलम नहीं सँभाल पाते थे,
उन्हें कहानी लिखना सिखाया
जरुरत पड़ी तो डाँटा भी,
कभी-कभी तो मारा चाँटा भी।

कच्ची मिट्टी के घड़ों को जैसे,
कुम्हार ठोककर मज़बूत बनाता है
जैसे सुनार सोने की लड़ी को,
ठोक-पीटकर सुंदर आभूषण बनाता है
उसी तरह कुछ संज्ञान का आकार दिया।

उस पर क्या लिखूँ, जिसने कच्चे बच्चे को इंसान बनाया,
बैठाकर एक ही जगह चाँद-तारे
पृथ्वी-आकाश का भ्रमण कराया,
चार्वाक, कौटिल्य, चरक और सुश्रुत,
न्यूटन, आइंस्टाइन, जेम्सवाट बताया।

परमपिता परमेश्वर, ईश्वर, अल्लाह, यीशु, बुध्द,
महावीर, नानक, कबीर, फुले और आम्बेडकर सिखाया
शिक्षा के ज़रिए ज्ञान को हम तक पहुँचाया,
जीवन का हर पाठ पढ़ाया।

लिखूँ मैं क्या उस पर जिसने,
सही-गलत का भेद बताया
ऐसे मानव मिल के पत्थर बनकर,
सही राह पर चलना सिखाया।

उन सब महानुभाव गुरूजनों के,
चरणों में हमने अपना शीश नवाया।
जब से ऐसे गुरुओं का साया पाया,
जीवन में हमारे उजियाला आया॥