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शिव आराधना

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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बाबा भोले हैं बसे, दूर शिखर कैलाश,
कैसे जाऊँ द्वार मैं, दर्शन की अभिलाष।

बाघम्भर शुभ केशरी, तन भभूति श्रृंगार,
चंदा शोभा दूज की, मंद खिले मुख हास।

गंगा डूबी जूट में, डमरू बाजे हाथ,
हरते आर्त पुकार में, तीन भुवन की त्रास।

तपरत त्रिपुरारी सदा, आभूषण रूद्राक्ष,
मरघट भूत पिशाच सँग करते शंभू वास।

श्रृंगी भृंगी योगिनी, यक्ष जोगिनी दास,
महाकाल औघड़ बड़े, काल लपेटे पाश।

आँक कनेर धतूर ले, अनउपयोगी फूल,
जूही बेला मोगरा, दे जग किया सुभाष।

जग जिसको भाये नहीं, भोले ले अपनाय,
विष में आशुतोष रहे, अमृत छोड़ तलाश।

मीठे फल जग को दिये, बिल्व-पत्र लिए आप,
महिमा शिव की भक्त को हो जाते आभास।

शशिधर की विषधर गले, सबके भोले नाथ,
भवसागर संसार में, शिव की ही है आश॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।