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श्रीराम कार्य में सहायक भूमिकाओं का चित्रण ‘रघु राम हनुमंत गाथा’

इंदौर (मप्र)।

सनातन संस्कृति और भारत देश की गौरवशाली पौराणिक परम्परा में भगवान श्री राम का अद्वितीय स्थान है। भगवान होते हुए भी उन्होंने अपने सभी कार्य आम लोगों की सहायता से पूरे किए। त्रेता युग में जन्म लेने के बाद जल समाधि लेने तक उनके सभी कार्यों को सफल बनाने में कई अहम किरदार रहे। हनुमान जी तो श्रीराम के वाहक थे ही, दूसरे कई चरित्र और भी थे। १५२८ में मंदिर तोड़े जाने से लेकर अब फिर से दिव्य मंदिर बनाए जाने और उनकी प्राण-प्रतिष्ठा होने तक में भी कई स्थानों, ग्रंथों और लोगों ने भूमिका निभाई। इन सभी का संकलन पुस्तक ‘रघु राम हनुमंत गाथा’ में है।
पुस्तक के लेखक पवन बजाज ने बताया कि, त्रेता से कलियुग तक राम कार्य में योगदान देने वाली भूमिकाओं को संक्षिप्त में आम लोगों तक पहुंचाने के लिए ही यह पुस्तक लिखी गई है। इसमें श्री राम के जन्म, जीवन, राजपाट, समाधि, जन्मभूमि पर बने मंदिर को तोड़ने, फिर बनाने और राम लला के विराजने तक के महत्वपूर्ण अंशों को प्रस्तुत किया गया है। इस संकलन में वेदों, उपनिषदों, ग्रंथों, रामायणों, कवियों, संतों और अन्य लेखकों का भी सहयोग लिया गया है।
आपने बताया कि, पुस्तक को २७ अलग-अलग अध्याय के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

हर अध्याय में हर किरदार का संक्षिप्त वर्णन है। अयोध्या के गौरवशाली चित्रण के साथ प्रभु के समस्त कार्य सफल बनाने वाले राम भक्त श्री बजरंग बली की भक्ति, शक्ति और समर्पण का बखान किया गया है तो आदि शंकराचार्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ गोरक्षनाथ पीठ का परिचय भी शामिल है। राम कार्य सफल बनाने वाले सभी व्यक्ति, संगठन, नगर, ग्रंथ और अभियान तक को इसमें शामिल कर संक्षिप्त वर्णन किया है, तो शताब्दी का संघर्ष भी है। इसी क्रम में अयोध्या मंदिर भूमि पूजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारत के प्रमुख राम मंदिर सहित अंतिम अध्याय ‘मेरी माँ- मानस से मंदिर’ श्री बजाज ने अपनी माँ को समर्पित किया है। यह श्री बजाज द्वारा लोगों के बीच लोकार्पित कर पढ़ने के लिए शीघ्र ही उपलब्ध करवाई जाएगी।