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संवेदना के जीवन्त प्रतिबिम्ब हैं मधु के गीत

लखनऊ (उप्र)।

मधु जी के गीतों की भावभूमि सकारात्मकता है, गीतों का विन्यास छंदबद्ध है। गीतों में रस, अलंकार एवं व्यंजना का लालित्य है। ये नकारात्मक सोच वाले नवगीतों को चुनौती देते हैं। ये गीत युगीन संवेदना के जीवन्त प्रतिबिम्ब हैं।

विशिष्ट अतिथि आचार्य ओम नीरव ने यह बात कृतिकार मधु दीक्षित की पुस्तक ‘श्वाँस करे जब तक नर्तन’ (गीत संग्रह) का लोकार्पण और समीक्षा करते हुए कही। अभा साहित्य परिषद (लखनऊ) ने उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के निराला सभागार में इस कृति का लोकार्पण कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें मुख्य अतिथि साहित्य भूषण मधुकर अष्ठाना ने कहा कि, मधु जी के गीतों में वैचारिक प्रौढ़ता और शैल्पिक परिपक्वता है। मुख्य वक्ता डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव ने कहा कि, हिन्दी भाषा, नारी विमर्श, देश-प्रेम, बचपन, मजदूर, किसान, सैनिक और राष्ट्रीयता के विहंगम काव्य-चित्र मधु दीक्षित के गीत संग्रह में हैं। समीक्षक कृपा शंकर श्रीवास्तव ‘विश्वास लखनवी’ और समीक्षक नमिता सुन्दर ने भी अपनी भावना व्यक्त की। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए डॉ. सुशील त्रिवेदी ने कहा, कि मधु जी के गीत सदाबहार हैं, जो युग-युगांतर तक पाठकों का रसानन्दवर्धन करते रहेंगे। कुशल संचालन डॉ. शिव मंगल सिंह ‘मंगल’ ने किया।