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सपना कुछ अधूरा

हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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कुछ महफूज नहीं है इस दुनिया में,
सबका कुछ अधूरा है
जिसे भी देखो वही दुखी है,
भला किसका सपना पूरा है ?

सपना हर कोई देखता है, सपना देखना कौन-सा बुरा है ?
इस दुनिया का हर मोहरा यारों,
सपनों से ही तो जुड़ा है।

चन्द लोगों ने चुराए सपने, अधिकतर लोगों के तो चोरे हैं
पंच्यानवे फीसद के धन के लाले,
पांच फीसद के तो बोरे हैं।

अनन्त संघर्षों से उलझ-उलझ कर,
हमने राहें नई बनाई हैं
रह धाराओं के विपरीत सदा, भव सागर की चोंटें खाई है।

उलझन पर नई उलझन,
अब तक जीवन का इतिहास रहा
अकेला चला हर पथ पर मैं, बस साथ प्रभु का विश्वास रहा।

कठिन नहीं है सपनों को साकार करना,
दृढ़ता तो जरूरी है।
सपना जिसका सिर्फ सपना ही रहा,
उसकी कशिश अधूरी है॥