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सब अकेले हो गए…

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस विशेष….

आज़ हम सब अकेले हो गए हैं यहां,
परिवार में संग रहने का
अब नहीं रहा मज़ा यहां,
ज़िन्दगी सुनसान हो चुकी है अब यहां
बुझता हुई दिखाई देता है,
अखण्ड दीप अब यहां।

न भीड़-भाड़ वाली बात है अब यहां,
दादा-दादी और ताऊ-ताईं की नहीं है
अब किसी घर में जगह यहां,
सफलता, पराक्रम और उन्नति व प्रगति की,
दिखती बात अब है कहां ?

अपने बेगाने हो गए हैं सब यहां,
ज़िन्दगी एक सवाल बनकर रह गई है यहां
कोई कहता है कि अब वह सुख-चैन है कहां,
जहां यह एक जन्नत-सी खुबसूरती थी यहां।

परिवार में सम्मिलित होने पर,
खूब मिलती थी खूब खुशियाँ जो यहां
त्योहार और जयंतियां थी,
एक मुक्कमल तस्वीर जो लाती थी यहां।

खुशियाँ बिखेरने वाले खूब खुशियाँ,
लेकर आते दिखते थे यहां
एकसाथ बैठकर खाने-पीने और मस्ती करते,
रहने का अब मिलता है सुख कहां ?

अब तो पारिवारिक जीवन में,
खुशहाली का नहीं है दिखता है यह मंजर यहां
मुश्किल पलों में ही अब याद आती है,
परिवार के लोगों की यहां
खुशियों के पल में पहचान नहीं पाते हैं,
अपने परिवार के लोगों को यहां।

आज़ भी हैं यहां हम सब बेखबर,
इस नायाब तोहफ़े से यहां
ज़िन्दगी कीमती समय में दिखती है,
जैसे कहां चला गया वह सुन्दर पल,
हम सबको छोड़ कर यहां से वहां।

आज़ हम सब मिलकर,
एक उन्नत योजना बनाएं
परिवार में सम्मिलित होने पर,
धूमधाम से खूब उधम मचाएं।

परिवार एक सरोवर है,
खुशबू का धाम है यहां
ज़िन्दगी एक सवाल नहीं बने,
यह सोचने की शाम बन चुकी है यहां।

मजबूत इरादों को यह परिवार,
हरक्षण हरपल मजबूती से यहां
खूब याद करता है,
मजबूती से बने हुए रिश्तों से ही
दुनिया आज भी चल रही है यहां।

परिवार आज भी है,
एक उत्तम उपचार है यहां
ज़िन्दगी के सफ़र में,
सुख-चैन का संसार जो दिखाता है यहां।

परिवार की कसौटियों पर,
खरा उतरना आज़ बहुत जरूरी है
नई रस्म अदायगी से कुछ कहना चाहता है,
यह दुनिया आज चाहती है यहां।

सरलता और सहजता से,
हम सब परिवार को स्वीकार करें।
पाश्चात्य देशों की संस्कृति का,
तुरंत त्वरित गति से बहिष्कार करें॥

परिचय–पटना(बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता,लेख,लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम.,एम.ए.(राजनीति शास्त्र,अर्थशास्त्र, हिंदी,इतिहास,लोक प्रशासन एवं ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी,एलएलएम,सीएआईआईबी, एमबीए व पीएच-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन)पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित अनेक लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं,जिसमें-क्षितिज,गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा संग्रह) आदि है। अमलतास,शेफालीका,गुलमोहर, चंद्रमलिका,नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति,चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा,लेखन क्षेत्र में प्रथम,पांचवां,आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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