कुल पृष्ठ दर्शन : 233

You are currently viewing सब छोड़ रहे उत्तम व्यवहार

सब छोड़ रहे उत्तम व्यवहार

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
**********************************

दादा-दादी का गया दौर,
न रहे उत्तम संस्कार
भागम-भाग की दुनिया में,
हम सब छोड़ रहे उत्तम व्यवहार।

छोटी-छोटी कहानियाँ थी,
उत्तम सीख हम पाते थे
घर के बुजुर्गों को सम्मान,
खुशी से दे पाते थे।

चकाचौंध की कृपा बरसी ऐसी ही,
सब खेल खत्म हुआ संसार
अपने-अपने घरों में सिमटे,
नहीं रहा अपना व्यवहार।

किताबों की दुनिया सिमटी,
मोबाइल का जोड़ हुआ
पढ़ने-लिखने का गया दौर अब,
विकृत संस्कृति की होड़ हुई।

नैतिकता और शिष्टाचार कहां अब,
आदर्शों का पतन हुआ
अपसंस्कृति हुंकार मार रहीं जोरों पर,
विकृति का संसार हुआ।

नैतिकता का भाव खत्म अब,
अशिष्टता सम्मान खूब पाती है।
शिष्टाचार अब खत्म हो चुका,
अनैतिकता खूब इठलाती है॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

Leave a Reply