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समकालीन कविता में युवा कवियों का हस्तक्षेप अपेक्षित

पटना (बिहार)।

समकालीन कविता में युवा कवियों का हस्तक्षेप अपेक्षित है। वरिष्ठ कवियों से प्रेरणा लेकर और सार्थक कविताओं का अध्ययन हमारे लिए बेहद जरूरी है। कवियों को सिर्फ कविता पढ़ना नहीं, बल्कि कविता सुनने की भी आदत डालनी चाहिए। यह सब छोटी-छोटी गंभीर गोष्ठियों से ही संभव है।
संस्था ‘राष्ट्रीय कवि संगम’ के बिहार प्रांत के सह महामंत्री व पटना जिला इकाई के अध्यक्ष डॉ. अंकेश कुमार ने उपरोक्त उद्गार काव्य संध्या-गोष्ठी में व्यक्त किए। जिला मंत्री कवयित्री डॉ. निशि सिंह ने कहा कि, हमारे प्रयास से नई प्रतिभाओं में ऊर्जा का संचार हुआ है। यह सृजन के लिए शुभ संकेत है। निशि सिंह के ‘आवास’ पर हुई इस काव्य संध्या के मुख्य अतिथि पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. मेहता नगेंद्र सिंह रहे। कविवर कमल किशोर ने अध्यक्षता की।
इस ‘काव्य संध्या’ का सशक्त संचालन करते हुए संस्था के जिला इकाई सचिव सिद्धेश्वर (केंद्रीय मीडिया प्रभारी) ने कहा कि, सच तो यह है कि कविता सिर्फ हमें आदमी होने की तमीज नहीं सिखाती, हमारे विचारों को उद्धेलित करते हुए एक सामाजिक क्रांति की जमीन भी तैयार करती है। इसलिए अब बेहद जरूरी हो गया है कि, कवियों की भीड़ इकट्ठी कर हम सिर्फ कविताओं को मनोरंजन का साधन ना बनाएं, बल्कि कलम के सिपाहियों को चाहिए कि सामाजिक विसंगतियों के खिलाफ कविता को हथियार बनाएं और यह छोटी-छोटी गोष्ठियों से ही संभव है। कवियों का धर्म सिर्फ कविता पढ़ना नहीं, बल्कि कविताओं का अध्ययन करना और कविताओं को सुनना भी है, ताकि हमारी सृजनशीलता की जमीन उर्वर हो सके।
संध्या’ के विशिष्ट अतिथि गीतकार, गायक और ‘दिव्य आलेख’ पत्रिका के सम्पादक अविनाश बंधु ने गोष्ठी का आरंभ इस सामयिक गीत से किया-‘हे, मानव क्यों टूट रहे हो चंद ख्वाहिशों के लिए तुम ?/ अपने रिश्तों से छूट रहे हो…हे, मानव क्यों टूट रहे हो।’ डॉ. सिंह ने-‘मनमौजी निकला मौसम, हम क्या करें ?, सूरज भी ढा रहा सितम, हम क्या करें ?’ ग़ज़ल का पाठ किया तो कमल किशोर ‘कमल’ ने ‘कौन धनुर्धर खड़ा हुआ है, हिम शिखर के ऊपर हाथ में तिरंगा!’ रचना का पाठ किया। डॉ. कुमार, राज प्रिया रानी, निशि सिंह, जिला संगठन मंत्री हरिशंकर कुमार, आयुष कुमार और कृष्ण नंद कनक ने भी कविताओं में व्यथा व्यक्त की।
अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन निशि सिंह ने किया।