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सौभाग्य हमारा,कि ऐसा ‘पिता’ मिला

मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’ 
गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश)

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‘पिता का प्रेम, पसीना और हम’ स्पर्धा विशेष…..

सोचा के कुछ लिख दूं आपके लिए,
पर मौका ही कब दिया कुछ कहने के लिए।

मन में क्या चल रहा है कब बताया ?
सब ठीक है या कुछ दिक्कत! हमें कब जताया ?

कब पता चलने दिया कि पैसे कहां से आते हैं,
सबकी अनोखी फरमाइशें कैसे पूरी कर पाते हैं।

पता नहीं आपके पास खबर कहां से आती थी,
हर ज़रूरत मांगने से पहले पूरी हो जाती थी।

मैं आँख ही मलता था तब तक उठकर,
जब आप काम पर निकलते थे तैयार होकर।

आपकी मेहनत से मैंने घर को बढ़ते देखा है,
स्याह रात से सुनहरी सूरज होते देखा है।

शाम से कान दरवाज़े पर लग जाते थे,
आहट होते ही टी.वी. बंद,पढ़ने लग जाते थे।

आपके वापस आते ही पहले सूटकेस थामते थे,
‘आज क्या नया आया’ सभी मिलकर झांकते थे।

याद है जब भरी थी बैग में अपनी सालों की कमाई,
मेरे कॉलेज एडमिशन के लिए सारी दौलत गंवाई।

जब भी देखा आपने मुझे मुश्किलों में फंसते हुए,
माँ को कर दिया इशारा मुस्कुराकर हँसते हुए।

आपकी मेहनत और पसीने का ही है ये असर,
कि बरकत से भरा खुशियाँ संजोए है ये घर।

अच्छा मुझे भी लगता है जब सीना फुलाते हो,
जब गुरूर से मुझे,अब सबसे मिलवाते हो।

डांटा तो सबने पर उन सबका इतना डर नहीं था,
आपकी तेज़ आवाज़-सा किसी और का असर नहीं था।

आपकी डांट का मकसद अब समझ आता है,
जब बच्चों के लिए मैं भी यही तरीका अपनाता हूँ।

हमारी सहूलियतों के लिए हर मौसम जलते रहे,
हमें आगे बढ़ाने के लिए निरन्तर चलते रहे।

ज़रूरत,ख्वाहिश या ज़िद,जो चाहा मिला हमें,
सौभाग्य है ये हमारा,कि ऐसा ‘पिता’ मिला हमें॥

परिचय-मयंक वर्मा का वर्तमान निवास नई दिल्ली स्थित वायुसेना बाद (तुगलकाबाद)एवं स्थाई पता मुरादनगर,(ज़िला-गाजियाबाद,उत्तर प्रदेश)है। उपनाम ‘निमिशाम्’ है। १० दिसम्बर १९७९ को मेरठ में आपका जन्म हुआ है। हिंदी व अंग्रेज़ी भाषा जानने वाले श्री वर्मा ने बी. टेक. की शिक्षा प्राप्त की है। नई दिल्ली प्रदेश के मयंक वर्मा का कार्यक्षेत्र-नौकरी(सरकारी) है। इनकी लेखन विधा-कविता है। लेखनी का उद्देश्य-मन के भावों की अभिव्यक्ति है। पसंदीदा हिंदी लेखक व प्रेरणापुंज डॉ. पूजा अलापुरिया(महाराष्ट्र)हैं।

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