कुल पृष्ठ दर्शन : 252

You are currently viewing समय के संग-संग चल

समय के संग-संग चल

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
******************************************

आओ बंधुओं बात सुनो मेरी,
तोल-मोल कर कहता हूँ अब
समय के साथ साथ चलो सब,
करो ना जल्दी लगाओ ना देरी।

समय के साथ ही बदलता रंग,
हर रंग की है अपनी ही तरंग
तरंगों के साथ तो जीना अब,
समय के साथ-साथ चलो सब।

समय संग जो चल नहीं पाया,
समय रंग जो ढल नहीं पाया
शिखर पर पहुँच,रहे अनजाने,
जग बढ़ा आगे,रहे पीछे सयाने।

हमें समय पर ही मिलता सब,,
समय पहले न बनता कुछ भी
समय बाद न बचता कुछ अब,
समय के साथ साथ चलो सब।

वृक्ष समय पर सदा देता फल,
काम आज का टालो न कल
कल की चिंता तुम अब छोड़ दो,
कर्म को समय संग तुम जोड़ दो।

मानव समय के संग-संग चल,
अवश्य सफलता मिलेगी कल।
कठिन समय तेरा जाएगा टल,
हे मनुज समय संग-संग चल॥

परिचय– साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

Leave a Reply