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समय के साथ चलते हैं प्रेमचंद के पात्र, कथ्य

गोष्ठी..

मेरठ (उप्र)।

प्रेमचंद बिरले साहित्यकार हैं। प्रेमचंद के पात्र, कथ्य, घटनाएं समय के साथ चलते हैं। साहित्यकार कालजयी मुद्दों को उठाते हैं, इस रूप में प्रेमचंद मानवीय संवेदना के कथाकार हैं। प्रेमचंद भारतीय संस्कृति और समाज के जीवन मूल्यों को स्थापित करते हैं। प्रेमचंद आमजन के कथाकार हैं।
यह विचार विभागाध्यक्ष प्रो. नवीन चंद्र लोहनी ने बतौर अध्यक्ष व्यक्त किए। अवसर रहा कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती पर हिन्दी एवं भारतीय भाषा विभाग द्वारा प्रेमचंद जी के साहित्य पर आयोजित आभासी गोष्ठी का।

इस गोष्ठी में विषय विशेषज्ञ प्रो. जितेंद्र श्रीवास्तव (इग्नू, दिल्ली) ने कहा कि प्रासंगिकता का प्रश्न जटिल प्रश्न है। प्रेमचंद आज के समय में प्रासंगिक हैं। प्रेमचंद एक ऐसे समाज की कल्पना करते हैं, जो समस्या मुक्त हो। गोष्ठी में प्रो. रामवृक्ष जाट (जेएनयू, दिल्ली) ने कहा कि प्रेमचंद की वैचारिक पृष्ठभूमि में आधुनिकीकरण का विचार रहा है। गोष्ठी में डॉ. अनुज अग्रवाल, डॉ. अंजू, डॉ. प्रवीण कटारिया, डॉ. विद्यासागर सिंह, डॉ. हरीश कसना, डॉ. सुमित नागर, अंकिता तिवारी, पूजा यादव, आदि शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी भी ऑनलाइन शामिल रहे।