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सुबह-सी सुहानी ग़ज़लों का संग्रह `चश्मदीद`

आरती सिंह ‘प्रियदर्शिनी’
गोरखपुर(उत्तरप्रदेश)
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गगन स्वर बुक्स प्रकाशन के अंतर्गत प्रकाशित ग़ज़ल संग्रह चश्मदीद शैदा आराई द्वारा लिखा गया है। शैदा आराई का मूल नाम कुमार संजय है,तथा यह आरा जिला (बिहार) के रहने वाले हैंl उन्हें यह साहित्यिक नाम शायर एवं कवि हजरत निर्दोष कुमार प्रेमी द्वारा दिया गया है।
प्रशासनिक अधिकारी शैदा आराई की रचनाओं में भी इनकी अफसरी स्पष्ट झलकती है। अपने जीवन के अच्छे-बुरे सभी अनुभवों को इन्होंने ग़ज़ल के रूप में बड़ी खूबसूरती से ढाला है। ग़ज़लों के शौकीन लोगों के लिए यह संग्रह निश्चित ही एक महत्वपूर्ण पुस्तक होगी। उनका यह संग्रह एक प्रकार से उनके जीवन के सभी उतार-चढ़ाव का चश्मदीद है-
“रोटियां जब मुफ्त में यह पाने लगे,
फख़ से वो संत कहलाने लगेl
काम होने पर कमीशन दे न दे,
सोचकर पूरा बजट खाने लगेl”

इसी प्रकार से उन्होंने देश के दफ्तरों में होने वाले भ्रष्टाचार पर भी प्रकाश डालते हुए गज़लियात पेश किया है-
“जनमानस का दर्द छुपाना ठीक नहींl
सज्जनता में आग लगाना ठीक नहींl”
राजनीति में खेल अनोखे हैं संजय,
पर गधों को बाप बनाना ठीक नहींl”

इसी प्रकार उन्होंने राजनीति के अंदर की गंदगी को भी ग़ज़लों के माध्यम से उजागर किया है। इस पुस्तक की खासियत यह है कि शैदा जी ने इसमें उर्दू के अतिरिक्त हिंदी और अंग्रेजी के शब्द भी इस्तेमाल किए हैं,मगर ग़ज़लों के अशआर में वह भी पाठकों को खूबसूरत नगमा लगता है। एक बानगी देखिए-
“दो बार मुड़कर क्या देखा कि ऑफर समझ लियाl
मुझको जनाब आपने लोफर समझ लियाl”

“मची है लूट चारों ओर मूरख तू यहां बैठा,
अभी भी वक्त है जल्दी चलो गंगा नहाते हैंl”

शैदा आराई का हर एक नगमा-हर एक शे’र उनके आस-पास के माहौल का आईना हैl पाठक जब इसे पढ़ेंगे तो उन्हें भी अपना दर्द महसूस होगा कि,किस प्रकार सरकारी कामों को करवाने में उन्हें भी ऐसे हालातों से रूबरू होना पड़ता है।

“हूँ मुंतजिर कब का हलकान हो रहा हूँ,
उम्मीदें वस्ल के अब बार बजे हुए हैंl”

अंततः हम यह कह सकते हैं कि,शैदा आराई ने अपनी ग़ज़लों में उर्दू अदब के साथ-साथ नए प्रयोग भी किए हैं। उनकी कलम से निकला हर शे’र ग़ज़लों का एक नया पैगाम लाता है।

परिचय-आरती सिंह का साहित्यिक उपनाम-प्रियदर्शिनी हैl १५ फरवरी १९८१ को मुजफ्फरपुर में जन्मीं हैंl वर्तमान में गोरखपुर(उ.प्र.) में निवास है,तथा स्थाई पता भी यही हैl  आपको हिन्दी भाषा का ज्ञान हैl इनकी पूर्ण शिक्षा-स्नातकोत्तर(हिंदी) एवं रचनात्मक लेखन में डिप्लोमा हैl कार्यक्षेत्र-गृहिणी का हैl आरती सिंह की लेखन विधा-कहानी एवं निबंध हैl विविध प्रादेशिक-राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कलम को स्थान मिला हैl प्रियदर्शिनी को `आनलाईन कविजयी सम्मेलन` में पुरस्कार प्राप्त हुआ है तो कहानी प्रतियोगिता में कहानी `सुनहरे पल` तथा `अपनी सौतन` के लिए सांत्वना पुरस्कार सहित `फैन आफ द मंथ`,`कथा गौरव` तथा `काव्य रश्मि` का सम्मान भी पाया है। आप ब्लॉग पर भी अपनी भावना प्रदर्शित करती हैंl इनकी लेखनी का उद्देश्य-आत्मिक संतुष्टि एवं अपनी रचनाओं के माध्यम से महिलाओं का हौंसला बढ़ाना हैl आपके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचंद एवं महादेवी वर्मा हैंl  

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