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स्वच्छ दमके धरा और आसमान

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
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स्वच्छ जमीन और स्वच्छ आसमान…

कराहती धरती माँ करती पुकार,
जरा देखो मुझे मेरी संतानों
अपने हृदय के प्यार से,
अपनी चक्षु की नमी से
कब समझोगे मेरा प्रेम,
जो सदा है समर्पित
तुम्हारे लिए युगों से।

स्थिति गंभीर मेरी,
और तुम लूटते हो
मेरा सौन्दर्य,
मेरी मुस्कान
चीर देते हो मुझे,
मेरी ये पीड़ा
जो समझोगे कभी…।

मैं हूँ इंतजार में,
तुम्हारे सत्य
पहल के लिए,
पर्यावरण संरक्षण का
तुम्हारा संकल्प…।

दूषित होती,
तुम्हारे द्वारा ही
वृक्ष कटाव से,
रसायन प्रवाह से
कल-कल बहती नदियाँ,
मिटाती जो प्यास
सूखती जा रहीं।

सागर की गहराईयाँ,
विचलित भू तल
भूल जाओगे,
मंद समीर के झोंके
विकृत होती दिशाएं,
फीके प्राकृतिक सौंन्दर्य
बेहद गर्मी-ताप,
आह! बहुत कुछ
तुम्हारे आगे की पीढ़ी,
कोसेगी तुम्हें…।

रोकिए उपयोग,
प्लास्टिक का
बन रहे हैं,
प्लास्टिक के भीषड़ पहाड़
दुःखी व्याकुल हैं मूक,
समुद्र नदी के जीव
घुट रही है उनकी स्वांस,
पशु-पक्षी हताश
आंतों में फंसा प्लास्टिक,
समुद्र के तलों में भी प्लास्टिक
आपकी लापरवाही,
बना है‌ ये
पर्यावरण का दुश्मन,
जलता तो वायु दूषित
ना गलता है कभी…।

रोको-रोको दुरूपयोग,
वृक्ष लगाएं सेवा करिए
कागज के ठोगें,
सूती थैलियाँ
फिर से करें उपयोग,
बच्चों में हो जागरूकता
पर्यावरण की सुरक्षा,
हो स्वच्छ धरा सुंदर आसमान…।

जागो-जागो,
मानव पुत्र-पुत्रियाँ
प्रगति के जुनून में,
सब कुछ गवाँ ना देना
मैं वेदना से व्याकुल।
पर्यावरण रक्षा की,
करती हूँ गुहार…॥

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है

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