कुल पृष्ठ दर्शन : 158

You are currently viewing स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला(मध्यप्रदेश)
*******************************************

प्रखर रूप मन भा रहा, दिव्य और अभिराम।
स्वामी जी तुम थे सदा, लिए विविध आयाम॥

स्वामी जी तुम चेतना, थे विवेक-अवतार।
अंधकार का तुम सदा, करते थे संहार॥

जीवन का तुम सार थे, दिनकर का थे रूप।
बिखराई नव रोशनी, दी मानव को धूप॥

सत्य, न्याय, सद्कर्म थे, गुरुवर थे तुम ताप।
काम, क्रोध, मद, लोभ हर, धोया सब संताप॥

गुरुवर तुमने विश्व को, दिया ज्ञान का नूर।
तेज अपरिमित संग था, शील भरा भरपूर॥

त्याग, प्रेम, अनुराग था, धैर्य, सरलता संग।
खिले संत तुमसे सदा, जीवन के नव रंग॥

था सामाजिक जागरण, सरोकार, अनुबंध।
कभी न टूटे आपसे, कर्मठता के बंध॥

सुर, लय थे, तुम ताल थे, बने धर्म की तान।
गुरुवर तुम तो शिष्य का, थे नित ही यशगान॥

मधुर नेह थे, प्रीति थे, अंतर के थे भाव।
गुरुवर तुमने धर्म को, सौंपा पावन ताव॥

वंदन, अभिनंदन करूँ, गुरुवर तेरा नित्य।
थे तुम खिलती चाँदनी, दमके बन आदित्य॥

परिचय–प्रो.(डॉ.)शरद नारायण खरे का वर्तमान बसेरा मंडला(मप्र) में है,जबकि स्थायी निवास ज़िला-अशोक नगर में हैL आपका जन्म १९६१ में २५ सितम्बर को ग्राम प्राणपुर(चन्देरी,ज़िला-अशोक नगर, मप्र)में हुआ हैL एम.ए.(इतिहास,प्रावीण्यताधारी), एल-एल.बी सहित पी-एच.डी.(इतिहास)तक शिक्षित डॉ. खरे शासकीय सेवा (प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष)में हैंL करीब चार दशकों में देश के पांच सौ से अधिक प्रकाशनों व विशेषांकों में दस हज़ार से अधिक रचनाएं प्रकाशित हुई हैंL गद्य-पद्य में कुल १७ कृतियां आपके खाते में हैंL साहित्यिक गतिविधि देखें तो आपकी रचनाओं का रेडियो(३८ बार), भोपाल दूरदर्शन (६ बार)सहित कई टी.वी. चैनल से प्रसारण हुआ है। ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं(विशेषांकों)का सम्पादन कर चुके डॉ. खरे सुपरिचित मंचीय हास्य-व्यंग्य  कवि तथा संयोजक,संचालक के साथ ही शोध निदेशक,विषय विशेषज्ञ और कई महाविद्यालयों में अध्ययन मंडल के सदस्य रहे हैं। आप एम.ए. की पुस्तकों के लेखक के साथ ही १२५ से अधिक कृतियों में प्राक्कथन -भूमिका का लेखन तथा २५० से अधिक कृतियों की समीक्षा का लेखन कर चुके हैंL  राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों में १५० से अधिक शोध पत्रों की प्रस्तुति एवं सम्मेलनों-समारोहों में ३०० से ज्यादा व्याख्यान आदि भी आपके नाम है। सम्मान-अलंकरण-प्रशस्ति पत्र के निमित्त लगभग सभी राज्यों में ६०० से अधिक सारस्वत सम्मान-अवार्ड-अभिनंदन आपकी उपलब्धि है,जिसमें प्रमुख म.प्र. साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार(निबंध-५१० ००)है।