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हर शब्द अमृत

हरिहर सिंह चौहान
इन्दौर (मध्यप्रदेश )
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उसका हर एक शब्द अमृत है,
वह हर युग में अपना परिदृश्य बताती रही
ज्ञान के इस कुंज में वह
हमें ज्ञानी बनाती रही,
भटकते हुए हर एक जीव को
धर्म के मार्ग पर वह चलाती रही।

प्रभु की भक्ति कहें यह प्रभु की शक्ति,
वह सृष्टि के संचालक की वाणी से निकल कर,
जग में एकता का पाठ पढ़ाती रही
संसार की हर एक तकलीफ में,
सुख में दु:ख में वह हम मनुष्य की सारथी बन सही राह बताती रही।

उसके ज्ञान से जो अमृत निकला,
वह दुनिया में कहीं भी नहीं है
उसके सार से जो दिव्यता है,
वह देवदुर्लभ है
पर हम मनुष्य के लिए ही सरल है,
उस को हम पहचानें, कृष्ण व अर्जुन के उन संवादों को जानें
गीता के संदेशों में ही वह अमृत है,
जो हर किसी का कल्याण करती है।

गीता के उपदेशों का सार,
जग कल्याण का भाव है
गीता के हर एक शब्द में अमृत है,
वह सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ ही नहीं है
वह भारत की आत्मा है,
जिसमें जीवन का सार है।
जग कल्याण का भाव है,
गीता का हर एक शब्द अमृत है॥