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हिंदी दिवस

डॉ.शैल चन्द्रा
धमतरी(छत्तीसगढ़)
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हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष………………..


“तुम्हें कितनी बार कहा है कि,घर पर कोई गेस्ट आते हैं तो तुम इंग्लिश में ही बोला करो,पर तुम हिंदी में ही शुरू हो जाते हो।मम्मी पिंटू को डांट रही थीं।
पिंटू ने रुआंसे स्वर से कहा,-“मम्मी,दादा जी आज कह रहे थे कि अपने देश,अपनी मातृभूमि और अपनी भाषा का आदर तथा सम्मान करना चाहिए। मम्मी हिंदी तो हमारी मातृ भाषा है न ? हिंदी टीचर कहती हैं कि हमें अपनी मातृ भाषा में ही बातें करनी चाहिए।फिर मम्मी आपको भी तो इंग्लिश नहीं आती।”
मम्मी ने झेंपते हुए कहा,-“मुझे आये या न आये,पर तुझे आनी चाहिए। वो इसलिए कि,ताकि मेरी सहेलियों और जान-पहचान वालों में मेरा रुतबा बढ़ सके। मैं गर्व से कह सकूँ कि,मेरा बेटा बड़े अंग्रेजी स्कूल में पढ़ता है और अंग्रेजी अच्छी तरह बोल लेता है। तुम जानते हो बेटा,आजकल अंग्रेजी बोलने वालों को हमारे देश के लोग बड़ी ही सम्मानजनक दृष्टि से देखते हैं।”
यह सुनकर दादा जी ने कहा,-“पर बहु आज तो हिंदी दिवस है l आज तो इसे हिंदी बोलने दो ?”
दादा जी की बातों का जवाब न देते हुए मम्मी ने पिंटू से कहा,-” तुम दादा जी की बातों पर ध्यान मत दो। वे तो पुराने विचार के हैं। सुनो,अब कोई भी दिवस हो तुम आज से अंग्रेजी ही बोलना।”
यह सुनकर पिंटू कभी दादा जी को,तो कभी अपनी मम्मी को देखने लगा।

परिचय-डॉ.शैल चन्द्रा का जन्म १९६६ में ९ अक्टूम्बर को हुआ है। आपका निवास रावण भाठा नगरी(जिला-धमतरी, छतीसगढ़)में है। शिक्षा-एम.ए.,बी.एड., एम.फिल. एवं पी-एच.डी.(हिंदी) है।बड़ी उपलब्धि अब तक ५ किताबें प्रकाशित होना है। विभिन्न कहानी-काव्य संग्रह सहित राष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में डॉ.चंद्रा की लघुकथा,कहानी व कविता का निरंतर प्रकाशन हुआ है। सम्मान एवं पुरस्कार में आपको लघु कथा संग्रह ‘विडम्बना’ तथा ‘घर और घोंसला’ के लिए कादम्बरी सम्मान मिला है तो राष्ट्रीय स्तर की लघुकथा प्रतियोगिता में सर्व प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त किया है।सम्प्रति से आप प्राचार्य (शासकीय शाला,जिला धमतरी) पद पर कार्यरत हैं।

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