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हमारी हिंदी

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
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हिंदी  दिवस स्पर्धा विशेष………………..


हर व्यक्ति की एक भाषा होती है,जो उसे जन्म से माँ द्वारा मिलती है।मैं सौभाग्यशाली हूँ जो हिंदुस्तान में जन्म लिया और हिंदी के रूप में मातृभाषा मिली। हिंदी एक ऐसी भाषा है,जो हमारे भावों को स्पष्ट रूप प्रदान करती है। हिंदी रस,छंदों और अलंकारों से सुसज्जित बहुत समृद्ध भाषा है,मधुर शब्दों से लबरेज भाषा होकर कानों में मिसरी घोल देती है। अवधी,भोजपुरी अन्य १६ भाषाएँ हिंदी से ही जन्मी हैं। रामायण,महाभारत जैसे महाकाव्य हिन्दी की जननी संस्कृत में लिखे हैं।
संस्कृत का सरलतम रूप हिंदी है। महाकवि मैथिलीशरण गुप्त,सूरदास,कबीर,तुलसीदास जैसे कवि,जयशंकर प्रसाद,प्रेमचंद जैसे रचनाकार हमें हिंदी ने ही दिए हैं,जिनकी कविताओं ने स्वतन्त्रता संग्राम में जान फूंक दी। हिंदी साहित्य ने देश तो क्या विदेशों में भी धूम मचा दी है। हिंदी की महिमा काव्य रूप में-
“कितनी प्यारी,कितनी मीठी ये हमारी हिंदी है।
हर जुबाँ पर सजती जैसे दुल्हन के माथे की बिंदी है।
जन्म दिया वेदों को जिसने हिंदी उसी की दुहिता है।
बह चली निश्छल नदी-सी ऐसी सुंदर सरिता है।
जन्म दिया कवियों को जिसने ऐसी सरस भाषा है।
रस,छंद,अलंकारों से सुसज्जित ये कवि की कविता है।
देश,विदेश में मचा रही ये धूम है।
बिन निज भाषा ज्ञान के न होता उत्थान है।
हिंदी ही हर हिंदुस्तानी की पहचान है।
हर गाँव-हर शहर को जोड़े वो कड़ी है।
हिंदी मेरी शान,मान,अभिमान है॥
जय हिंद,जय हिंदी…

परिचय-गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनाम `गीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

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