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हिंदी में याचिका के मामले में ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ बना पक्षकार

जनभाषा में न्याय…

पटना (बिहार)।

देश-दुनिया में भारतीय भाषाओं के प्रयोग व प्रसार को बढ़ाने के लिए निरंतर कार्यरत मुम्बई की संस्था ‘वैश्विक हिंदी सम्मेलन’ संघर्षरत है। सम्मेलन ने पटना हाईकोर्ट के सीडब्लूजेसी संख्या १७५४२/२०१८ इंद्रदेव प्रसाद बनाम महाधिवक्ता बिहार एवं अन्य को पक्षकार बनाने हेतु आवेदन संख्या १/ २०२४ दाखिल किया है। इस प्रकरण में हिंदी-अंग्रेजी के बीच का विवाद विचार में है।
उस प्रकरण में पटना उच्च न्यायालय नियमावली १९१६ का भाग २ अध्याय ३ नियम एक चुनौती के अधीन है, जो प्रावधानित करता है कि, पटना उच्च न्यायालय में सब आवेदन अंग्रेजी में दाखिल होंगे। उसके गुण-दोष पर विचार हो रहा था कि, बिना अंग्रेजी अनुवाद संलग्न करवाए हुए ही मुख्य न्यायाधीश संजय करोल वाली न्यायपीठ विचार कर रही थी। जैसे ही वह मुकदमा मुख्य न्यायमूर्ति के विनोदचंद्रन वाली न्यायिक खंडपीठ में लगा, वैसे ही हिंदी आवेदन का अंग्रेज़ी अनुवाद संलग्न करने का दायित्व प्रति-पक्षकार इंद्रदेव प्रसाद (स्थाई सलाहकार संख्या २७ पटना उच्च न्यायालय) दाखिल करने से इनकार किया। फिर भी उन्होंने जबरदस्ती इन्हें अंग्रेजी अनुवाद दाखिल करने का निर्देश दे दिए।
इसकी जानकारी जैसे ही सम्मेलन के निदेशक डॉ. मोतीलाल गुप्ता ‘आदित्य’ को मिली, उन्होंने भारतीय भाषाओं के इस संघर्ष में जन भाषा में न्याय के लिए संघर्षरत अधिवक्ताओं का साथ देने के लिए हिंदी सम्मेलन को पक्षकार बनने के लिए आवेदन दाखिल कर दिया, जो डॉ. गुप्ता के माध्यम से दाखिल हुआ। मुख्य न्यायाधीश के सम्मुख भरी अदालत में आवेदक ने कहा, ‘मारीच मन में करे विचारा, दोनों तरफ से मरण हमारा।’ अगर हम अंग्रेजी अनुवाद देते हैं तो स्वर्ण सिंह बग्गा प्रकरण में पूर्ण पीठ की गरिमा घटती है, यदि दाखिल नहीं करते हैं तो इस न्याय खंडपीठ की महिमा घटती है। अंतत: इस मामले में एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार सिंह ने उपस्थित होकर कर ४ सप्ताह समय की प्रार्थना की। उन्होंने ने कहा कि, हिंदी विरोधी कानून पर पुनर्विचार मंत्रिमंडल का निर्णय अभी राष्ट्रपति के यहाँ लंबित है, संशोधित अधिसूचना बहुत जल्दी जारी होने वाली है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के लिए ४ सप्ताह का समय दिया।
सम्मेलन’ के इस सहयोग के लिए पटना उच्च न्यायालय के वकीलों ने हृदय से स्वागत किया। निदेशक डॉ. गुप्ता ने कहा कि, हिंदी सम्मेलन द्वारा जनभाषा में न्याय के लिए देशभर में निरंतर प्रयास किया जाता रहेगा।

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन, मुम्बई)