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हिन्द की पुत्री हिन्दी

डाॅ. पूनम अरोरा
ऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)
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भारत की आत्मा ‘हिंदी’ व हमारी दिनचर्या….

हिन्द की पुत्री हूँ,
संस्कृत मेरी माता है
हिन्दुस्तान आत्मा मेरी,
हिन्दी मेरा नाम है
लोक कल्याण की सेवा में,
सदा समर्पित रहती हूँ
असंख्य शब्द रत्नों से निभृत,
भावों का विराट स्रोत हूँ।

सम्पूर्ण विश्व को अपने,
अतुल ज्ञान और शक्ति से
उदीप्त रखने की,
प्रतिपल चेष्टा करती हूँ
उन्नत चेतना का माध्यम और
ज्ञान की सच्ची अन्वेषक हूँ।

जीवन के सर्वाधिक,
महत्वपूर्ण प्रश्नों का
समाधान और,
मनोदशाओं की अभिव्यक्ति
मुझसे ही तो सम्भव है।

भावों का समन्दर और,
अहसासों का पानी हूँ
सशक्त श्रेष्ठ काव्यात्मक,
कृत्तियों की रवानी हूँ
मुझसे ही होती निर्गत,
दिलों की कहानी हूँ
जुबान की सरसता,
होंठों की मुस्कान हूँ
होकर दिनचर्या में शामिल,
हिन्दुस्तानियों की शान हूँ।

अपने राष्ट्र को जीवंत,
और जाग्रत रखना
मेरा धर्म और कर्म है।
पावन मेरी धारा को,
हिन्दी पुकारा जाता है॥

परिचय–उत्तराखण्ड के जिले ऊधम सिंह नगर में डॉ. पूनम अरोरा स्थाई रुप से बसी हुई हैं। इनका जन्म २२ अगस्त १९६७ को रुद्रपुर (ऊधम सिंह नगर) में हुआ है। शिक्षा- एम.ए.,एम.एड. एवं पीएच-डी.है। आप कार्यक्षेत्र में शिक्षिका हैं। इनकी लेखन विधा गद्य-पद्य(मुक्तक,संस्मरण,कहानी आदि)है। अभी तक शोध कार्य का प्रकाशन हुआ है। डॉ. अरोरा की दृष्टि में पसंदीदा हिन्दी लेखक-खुशवंत सिंह,अमृता प्रीतम एवं हरिवंश राय बच्चन हैं। पिता को ही प्रेरणापुंज मानने वाली डॉ. पूनम की विशेषज्ञता-शिक्षण व प्रशिक्षण में है। इनका जीवन लक्ष्य-षड दर्शन पर किए शोध कार्य में से वैशेषिक दर्शन,न्याय दर्शन आदि की पुस्तक प्रकाशित करवाकर पुस्तकालयों में रखवाना है,ताकि वो भावी शोधपरक विद्यार्थियों के शोध कार्य में मार्गदर्शक बन सकें। कहानी,संस्मरण आदि रचनाओं से साहित्यिक समृद्धि कर समाजसेवा करना भी है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-‘हिंदी भाषा हमारी राष्ट्र भाषा होने के साथ ही अभिव्यक्ति की सरल एवं सहज भाषा है,क्योंकि हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है। हिंदी एवं मातृ भाषा में भावों की अभिव्यक्ति में जो रस आता है, उसकी अनुभूति का अहसास बेहद सुखद होता है।

 

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