अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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बचाएं जल,
सोचो जीवन मूल्य-
बचेगा कल।
बचा पानी तो,
जी सकेगा मनुज-
है जिंदगानी।
यूँ मत ढोलो,
बिन पानी कुछ न-
इसे संभालो।
करो सचेत,
हर बूँद अमोल-
पड़ेगा रोना।
पानी बचाओ,
समझो, समझाओ-
जीवन पाओ।
कीमती पानी,
हों सब जागरूक-
कोई ना सानी।
किया बर्बाद,
संकट में पथिक-
कैसे आबाद ?
धरा व्याकुल,
दिखा दिया तांडव-
अब विनाश।
है नासमझ,
पल-पल विनाश-
अब संभल।
घटता जल,
हो बाधित तरक्की-
बचाओ कल।
बचे फसल,
जल जीवन कोष-
लगाओ अक्ल।
पानी ना ढोलो,
जो जीना चाहते हो-
सबको बोलो॥