प्रेमपाल शर्मा
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एनसीईआरटी का स्वागत…
दिल्ली और उसके आसपास नोएडा, गाजियाबाद के ९० फीसदी निजी उर्फ पब्लिक विद्यालयों में ११वीं १२वीं में हिंदी विषय नहीं पढ़ाया जाता। विज्ञान (पीसीएम) के छात्र विशेष रुप से हिंदी नहीं पढ़ते! इनमें ५० फीसदी में नवीं कक्षा से ही अंग्रेजी के साथ कोई और विदेशी भाषा पढ़ाई जाती है। पूरा उत्तर भारत इसी की नकल करने पर उतारू है। ले-देकर सरकारी शालाओं में थोड़ी बहुत हिंदी ११वीं १२ वीं में बची है।
इसके विपरीत दक्षिण के राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में दसवीं तक तो अपनी मातृभाषा अनिवार्य हैं ही, ११ वीं १२ में विज्ञान के छात्र भी अंग्रेजी के साथ दिल्ली और उत्तर भारत के लिए इस कदम की बहुत जरूरत है। स्वागत। वरना, अंग्रेजों भारत छोड़ो।
(सौजन्य:वैश्विक हिन्दी सम्मेलन, मुम्बई)