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संकल्प के दीए

प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
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दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष…..

जला कर…एक
दीया विश्वास का,
हमें मानव सभ्यता में
विजयी उद्घोष जगाना है।
हम हैं भारत की संतान,
करुणा से टूटी अर्थव्यवस्था को,
फिर से मजबूत बनाना है।

जला कर दूसरा…
दीया प्रेम का,
हमें आपसी भाईचारा लाना है।
धर्म की आड़ लेकर लड़ाने वालों को,
मुँहतोड़ जवाब दे जाना है।

जलाकर तीसरा…दीया
देश हित में लगे,
असंख्य जनों के प्रति
कृतज्ञ हो जाना है।
अपने देश के सैनिकों,
और किसानों के हित के लिए
दुआ में हाथ उठाना है।

जलाकर चौथा…दीया
बुराई से लड़ने के लिए,
आवाज उठाना है।
यह कैसा समाज दे रहे हैं!
जीवन त्रासदी का अंत पाना है।

जलाकर पांचवा…दीया,
कुदरत का उपकार मनाना है।
बहुत गलतियां कर चुके,
हम कुदरत के साथ
अब समस्त भूल सुधारते जाना है।

जलाकर छठा…दीया,
स्वच्छ भारत का मान बढ़ाना है।
गंदगी को आसपास से ही नहीं,
गंदी सोच से भी हटाना है।

जलाकर सातवां…दीया,
सत्य का पथ अपनाना है।
मिलावट,धोखेबाजी,भ्रष्टाचार,
समाज से तभी निकलेगी
पहले अपने भीतर का,
रावण मार गिराना है।

जलाकर आठवां…दीया
अपनी अमर,
सभ्यता का ध्यान कर जाना है।
विदेशी भीड़ का हिस्सा होने से,
अच्छा स्वदेशी संस्कार अपनाना है।

जलाकर नौवां…दीया
संकट के काल में,
जीवन को संकटमुक्त बनाना है।
जरूरतों के हिसाब से हो जिंदगी,
हर जिंदगी को जीवन में
खुशहाल बनाना है।
इस दीपावली देकर रोजगार,
हर नागरिक को,
‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाना है॥

परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` हैL ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़(जिला सोलन,हिमाचल प्रदेश) हैL आपको हिन्दी,पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हैL पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला),एम.ए.(अर्थशास्त्र,हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैंL इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी,निबंध तथा लेख है।सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL आपको लेखनी के लिए प्रंशसा-पत्र मिले हैंL सोशल मीडिया में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ हैL आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक-मैथिलीशरण गुप्त,जयशंकर प्रसाद,निराला,महादेवी वर्मा और पंत जी हैंL समस्त विश्व को प्रेरणापुंज माननेवाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है,श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।”

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