एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)
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मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………
माँ मैं जब
तेरी कोख आया,
तूने मेरे आने की खुशियों में
अपने अरमानों से दुनिया में
मेरी राह को सजाया,
तू जननी है मेरी
मेरे कर्मों की धुरी धन्य है।
जब मैं दुनिया में आया
तूने अपनी आँखों के काजल से,
मेरी नज़र उतारी
मैं मजबूत बनूं,
शक्ति का सत्कार बनूं
इरादों का फौलाद,
औलाद बनूं
जीवन अमृत का
स्तन पान कराया,
तू मूरत नहीं तू साक्षात्
मेरा भाग्य भगवान है॥
मैं रात-रातभर
तुझे जगाता,
तेरी आँखों में नींद का
नाम नहीं,
खुली नज़र से तू
मुझे देखती
अपने अरमानों ख्वाबों को,
मेरे हर नन्हें क़दमों
की किलकारी की,
मंज़िल मान
मैं रात-रातभर
तेरी आँखों में नींद
नहीं
खुली नज़र से
तू मुझे निहारती,
अपने अरमानों
ख्वाबों को मेरे,
हर नन्हें क़दमों
की किलकारी की
मंज़िल मान
समझती माँ है।
मातृभूमि की
महिमा मर्यादा महान है॥
ज्यों-ज्यों मैं बढ़ता जाता,
तेरे अरमानों
का राजदुलारा,
तू दुनिया से फक्र से कहती
मेरा लाड़ला,
मेरी साँसें धड़कन
जिंदगी जान प्राण है,
तू दुनिया समाज से
मेरा परिचय करवाती
तू प्रथम गुरु ज्ञान है,
माँ तू मेरी दुनिया जहाँ है॥
जब मैंने शब्द
प्रथम दुनिया में
बोला ‘माँ’,
तेरी उंगली पकड़
कर चलना सीखा,
तू भले-बुरे का
भान कराती,
तू जीवन मूल्य
संस्कृति बताती
तू मेरी संस्कृति,
संस्कार अवनि आधार है।
मैं जब भी घर बाहर जाता
तू नज़र उतारती,
नज़र लगे ना
मुझे किसी की
जतन हज़ार करती,
तू साक्षात
मेरी भगवान,
भगवान से मेरी रक्षा का
आशीर्वाद मांगती।
तू मेरे आने की
राह निहारती,
गर कहीं देर हो जाती
मेरी सलामती की
दुआ मांगती,
जब मैं घर लौटता
पूछती-कहाँ था,
भूखा होगा कुछ खा ले
मैंने भी कुछ खाया
नहीं तेरी राह निहारते।
जब मैं निराश उदास हो
थक जाता,
तेरे आँचल के साये में
सो जाता,
तेरे आँचल के साये
मेरी सोती आँखों को
तेरे अरमानों की
ताकत का फिर
लम्हा-लम्हा मिल जाता।
माँ तू मेरा सत्य,
तेरी सार्थकता का
सत्य ही मेरा अस्तित्व है।
तू मर्यादा मान है,
तेरे अरमानों का
अवनि-अम्बर मैं
तू मेरा अभिमान है,
तू माँ है
तेरी ममता के
सागर की मैं तेरी संतान हूँ॥
परिचय-एन.एल.एम. त्रिपाठी का पूरा नाम नंदलाल मणी त्रिपाठी एवं साहित्यिक उपनाम पीताम्बर है। इनकी जन्मतिथि १० जनवरी १९६२ एवं जन्म स्थान-गोरखपुर है। आपका वर्तमान और स्थाई निवास गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) में ही है। हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री त्रिपाठी की पूर्ण शिक्षा-परास्नातक हैl कार्यक्षेत्र-प्राचार्य(सरकारी बीमा प्रशिक्षण संस्थान) है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त युवा संवर्धन,बेटी बचाओ आंदोलन,महिला सशक्तिकरण विकलांग और अक्षम लोगों के लिए प्रभावी परिणाम परक सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,नाटक,उपन्यास और कहानी है। प्रकाशन में आपके खाते में-अधूरा इंसान (उपन्यास),उड़ान का पक्षी,रिश्ते जीवन के(काव्य संग्रह)है तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-भारतीय धर्म दर्शन अध्ययन है। लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-पूज्य माता-पिता,दादा और पूज्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं। विशेषज्ञता-सभी विषयों में स्नातकोत्तर तक शिक्षा दे सकने की क्षमता है।