मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा(राजस्थान)
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ऐसे तो जिंदगी में बचपन के बहुत से किस्से हैं,जिनको कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्हीं किस्सों में से एक मेरा भी बचपन का किस्सा है। जब मैं छोटा था तो अपनी बहनों की शादी थी। हम लड़की वाले थे,फिर भी बारात लेकर बीकानेर गए थे। वहाँ पर हम एक धर्मशाला में ठहरे थे। मैं छोटा तो था ही और छोटे बच्चों को चाहिए क्या ? बस पैसे और पैसों से चॉकलेट।
मैं अपने बड़ों से पैसे लेकर धर्मशाला से बाहर आ गया था। जानता कुछ भी नहीं था। कहाँ पर दुकान है ? कहाँ पर जाना है,कुछ भी पता नही था। मैं तो पैसे लेकर बहुत दूर तक चला गया था और इस बात का किसी को पता भी नहीं था कि मैं कहाँ पर गया हूँ। मैंने चाकलेट ले ली थी,पर अब मैं रास्ता भूल गया था। कहाँ क्या है,कुछ याद नहीं आ रहा था। बस आँखों में आँसू आ रहे थे। इधर-उधर घूम रहा था रोते रोते,तभी दो सज्जन पुरुष मिले। बोले-“रो क्यों रहे हो,कहाँ से आये हो और कहाँ जाना है ?” मैं ज्यादा कुछ बोल भी नहीं पाता था। उन्होंने मुझे अपनी गोदी में लिया और कुछ धर्मशाला की ओर ले गये,क्योंकि वहाँ पर एक जैसी ही बहुत-सी धर्मशाला थी। मुझे सारी धर्मशाला में घुमाया। अंत में जहाँ पर ठहरे थे,उस धर्मशाला में भी लाये। मैं अपने घरवालों को देखकर बहुत खुश हुआ और आँखों के आँसू भी मिट गए थे। मैं उन दो लोगों का अहसान कभी नहीं भूल पाऊँगा,वो दोनों कौन थे किसके लिए आए थे,ये कुछ भी मैं नहीं जानता था। उन्होंने मुझे अपने परिवार वालों से मिलाया,इतना ही मैं जानता हूँ। ये घटना हमेशा कॆ लिए मेरे मन में उन दोनों पुरुषों की सज्जनता अंकित कर गई है।
परिचय–मोहित जागेटिया का जन्म ६ अक्तूबर १९९१ में ,सिदडियास में हुआ हैl वर्तमान में आपका बसेरा गांव सिडियास (जिला भीलवाड़ा, राजस्थान) हैl यही स्थाई पता भी है। स्नातक(कला)तक शिक्षित होकर व्यवसायी का कार्यक्षेत्र है। इनकी लेखन विधा-कविता,दोहे,मुक्तक है। इनकी रचनाओं का प्रकाशन-राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में जारी है। एक प्रतियोगिता में सांत्वना सम्मान-पत्र मिला है। मोहित जागेटिया ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज की विसंगतियों को बताना और मिटाना है। रुचि-कविता लिखना है।