बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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भला सभी का कर चलो,और करो उपकार।
दीन-हीन को दान दो,स्वच्छ रखो व्यवहार॥
उपकारी बन साथ में,करना ऐसा काम।
दु:ख में खुशियाँ दे चलो,अमर रहेगा नाम॥
भलमानुष दाता बनो,हरो सकल सन्ताप।
दीन-दुखी परिवार को,होय न पश्चाताप॥
उपकारी मानव बनो,करो सदा उपकार।
परहित में सुख बाँटिये,लो अपनों-सा प्यार॥
नदिया बहती है धरा,वृक्ष फले उपकार।
चन्दा-सूरज भी चले,बन के तारनहार॥