राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड)
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बेटा हूँ मैं…
बेटे की बात बता रहा,
मैं भाव लिए खुशी के
दु:ख को है छिपा रहा,
कहलाता मैं कुलदीपक
जल-जल के खुशियाँ फैला रहा।
बेटा हूँ मैं…
बेटे की बात बता रहा,
सत्य है होती बेटियों की विदाई
बेटे भी परिवार हेतु करते कमाई,
घर से दूर स्वयं परदेश जाकर
अपनों के संग सहते जुदाई।
बेटा हूँ मैं…
बेटे की बात बता रहा,
लेकर कंधे पे जिम्मेदारी
पूरे घर का भार उठा रहा,
फरमाइश कर खाने वाले
खुद बनाकर आज खा रहा।
बेटा हूँ मैं…
बेटे की बात बता रहा,
राजा की तरह रहने वाले
सास-बहू के बीच पिसता रहा,
किसी ने जोरू का गुलाम कहा
या नाकारा बेटे का दर्द सहता रहा।
बेटा हूँ मैं…
बेटे की बात बता रहा,
छोटे में जरूरतों के खातिर
घर को सर पे उठाने वाले,
आज सबकी इच्छा पूरी करके
अपने इच्छाओं को जला रहा।
बेटा हूँ मैं,
बेटे की बात बता रहा॥
परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।