अलका ‘सोनी’
पश्चिम वर्धमान(पश्चिम बंगाल)
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तुम जो दिखाओगे
ये वो देखेंगी,
तुम्हारी ही आँखों से
यह आकाश देखेंगी,
रचे गए तिलस्म से
जड़ होकर,
सोयी है ऐसे
जाने कब इनकी,
यह गहरी नींद टूटेगीl
सुरंग उस तक
पंहुचाने की वो,
आप खोदेगी
अंदर की खाली हो गई,
जमीन वो कल देखेंगीl
छल लो आज तुम
इनको इतना,
बैठी रहेंगी पीढ़ियां
तुम्हारी,और ये,
संघर्ष के पल देखेंगींl
वेश बदल कर आते हो
हर बार इतना,
इस धोखे में डूब कर
वो न कुछ और देखेंगी,
लेकिन टूटेगा इनका
यह भरम जिस दिनl
फिर न तुम्हें वो,
वहां एक पल देखेंगीll
परिचय–अलका ‘सोनी’ का जन्म २३ नवम्बर १९८६ को देवघर(झारखंड)में हुआ है। बर्नपुर(पश्चिम बंगाल)में आपका स्थाई निवास है। जिला-पश्चिम वर्धमान निवासी अलका ‘सोनी’ की पूर्ण शिक्षा-एम.ए.(हिंदी) व बी.एड. है। लेखन विधा-कविता,लघुकथा व आलेख आदि है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हैं। आपको अनेक मंचों द्वारा सम्मान-पुरस्कार दिए गए हैं। लेखनी का उद्देश्य-आत्मसंतुष्टि व समाज कल्याण है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेरणापुंज रामधारी सिंह ‘दिनकर’ एवं ‘निराला’ हैं। इनका जीवन लक्ष्य-साहित्य में कुछ करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-‘हिंदी के प्रति लोगों का नजरिया बदला है और आगे भी सकारात्मक बदलाव होंगे।’