श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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मेरी जीवन में,अगर तुम हो साथ,
खुशियों की होती रहेगी बरसात।
मैंने सदा ही तुम्हारे,साथ रहकर,
अपना उज्जवल भविष्य देखा।
फूलों की डाली को ज्यों सींचता है माली,
अहो मित्र तेरे बिन मेरा जीवन है खाली।
तुम मुझे साथ दो तो लिखूँ नई कहानी,
क्या खोया क्या पाया,बाती जो पुरानी।
तुम अगर साथ दो तो,हर दु:ख सहन कर लूँगी,
तेरा साथ रहेगा तो फूलों की बगिया सजाऊंगी।
तुझे अपना तन-मन अर्पण कर,
बगिया में नन्हा फूल खिलाऊंगी।
अगर तेरा साथ रहा तो बाबुल का आँगन छोडूंगी,
प्रेम पथ में बढ़कर के दोनों नए जीवन जीऊँगी।
चाह नहीं रहेगी धन-दौलत की,मिलती रहेगी खुशियाँ मन की,
मन में है बस एक उमंग भरी,तेरे साथ जीवन जीने की।
तेरा साथ हो तो,मैं अंतिम क्षण तक बाट देखूंगी,
तेरा साथ हो तो तेरे लिए जीऊँगी,तेरे लिए मरुँगी।
मैं नहीं चाहती तुम चाँद-सितारे तोड़ लाना,
मैं नहीं चाहती तुम आलीशान भवन बनाना।
अंतिम क्षण में,जब मैं जाऊंगी इस दुनिया से,
तुलसी दल,आ के पिला देना,काँधे लगा लेना॥
परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।