कुल पृष्ठ दर्शन : 544

You are currently viewing जीतना है…

जीतना है…

कार्तिकेय त्रिपाठी ‘राम’
इन्दौर मध्यप्रदेश)
*********************************************

आंधी-तूफान-
अच्छा है कोरोना से,
दिखता तो है।

ढूंढना मत-
कोई गुनहगार,
कोरोना तो है।
मन का बोझ-
मत बनाना इसे,
मारा जाएगा।
टूटना नहीं-
कोरोना को तोड़ना,
करना योग।
सुन कोरोना-
मन है विचलित,
अब हो विदा।
इंसान बड़ा-
अदना-सा कोरोना,
झटक इसे।
लाल ना कर-
केशरिया तिरंगा,
घर में रह।
हाँ,कोरोना तो-
आँसू ही बहाएगा,
परदेशी है।
कोरोना होगा-
इस तन से हवा,
हो मजबूत।
इधर देख-
कोरोना हार गया,
और मैं जीता।

परिचय–कार्तिकेय त्रिपाठी का उपनाम ‘राम’ है। जन्म ११ नवम्बर १९६५ का है। कार्तिकेय त्रिपाठी इंदौर(म.प्र.) स्थित गांधीनगर में बसे हुए हैं। पेशे से शासकीय विद्यालय में शिक्षक पद पर कार्यरत श्री त्रिपाठी की शिक्षा एम.काम. व बी.एड. है। आपके लेखन की यात्रा १९९० से ‘पत्र सम्पादक के नाम’ से शुरु हुई और अनवरत जारी है। आप कई पत्र-पत्रिकाओं में काव्य लेखन,खेल लेख,व्यंग्य और फिल्म सहित लघुकथा लिखते रहे हैं। लगभग २०० पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी पर भी आपकी कविताओं का प्रसारण हो चुका है,तो काव्यसंग्रह-‘ मुस्कानों के रंग’ एवं २ साझा काव्यसंग्रह-काव्य रंग(२०१८) आदि भी प्रकाशित हुए हैं। काव्य गोष्ठियों में सहभागिता करते रहने वाले राम को एक संस्था द्वारा इनकी रचना-‘रामभरोसे और तोप का लाईसेंस’ पर सर्वाधिक लोकप्रिय कविता का पुरस्कार दिया गया है। साथ ही २०१८ में कई रचनाओं पर काव्य संदेश सम्मान सहित अन्य पुरस्कार-सम्मान भी मिले हैं। इनकी लेखनी का उदेश्य सतत साहित्य साधना, मां भारती और मातृभाषा हिंदी की सेवा करना है।