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मिलकर मनाएं दीपों का त्योहार

कमलेश वर्मा ‘कोमल’
अलवर (राजस्थान)
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राम-राज…

आया दीपोत्सव का त्योहार, लाया खुशियाँ अपार
आओ मिलकर सब मनाएँ, दीपों का त्योहार।

सज गए बाजार समृद्धि का उजाला लेकर,
चमक गए घर-आँगन खुशियों की सौगात लेकर
जगमग-जगमग दीप जलाए चारों ओर,
खुशियाँ मनाएँ सब, आया दीपोत्सव का दौर।

रोशन हो गए बाजार, सज गई सभी दुकानें,
जगमग रोशनी से मानों तारे ज़मीं पर उतर आए
घर-आँगन में रंगोली पर सुंदर दीप जलाएँ,
रोशन हो गया, झूम उठा तन- मन, आओ दीप जलाएँ।

चमक उठा घर का मंदिर जगमग हो गया रोशन,
सज गए थाल पूजा-अर्चन को महक उठा घर-आँगन
करते सब गणेश वंदन, माँ लक्ष्मी का गान,
शिक्षा की देवी माँ सरस्वती का सब करते आह्वान।

दीप से दीप जलाएँ, खुशियों की सौगात लाएँ,
आओ हम सब मिलकर दीपावली का त्योहार मनाएँ।
आया दीपोत्सव का त्योहार, लाया खुशियाँ अपार।
आओ मिलकर सब मनाएँ दीपोत्सव का त्योहार॥

परिचय –कमलेश वर्मा लेखन जगत में उपनाम ‘कोमल’ से पहचान रखती हैं। ७ जुलाई १९८१ को दुनिया में आई रामगढ़ (अलवर) वासी कोमल का वर्तमान और स्थाई बसेरा जिला अलवर (राजस्थान) में ही है। आपको हिन्दी, संस्कृत व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। एम.ए. व बी.एड. तक शिक्षित कमलेश वर्मा ‘कोमल’ का कार्यक्षेत्र व्याख्याता (निजी संस्था) का है। इनकी लेखन विधा-गीत व कविता है। इनकी रचनाएं पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं तो ब्लॉग पर भी लेखन जारी है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-“कविता के माध्यम से विचार प्रकट करना एवं लोगों को जागरूक करना है।” पसंदीदा हिन्दी लेखक-मुंशी प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, एवं जय शंकर प्रसाद हैं तो विशेषज्ञता- पद्य में है। बात की जाए जीवन लक्ष्य की तो भारतीय समाज में सम्मान प्राप्त करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार -“राष्ट्र एक व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास राष्ट्र पर निर्भर करता है। हिंदी हमारी राष्ट्र और मातृत्व भाषा है, जो सरल तरीके से समझी और बोली भी जा सकती है। इसलिए इसे बढ़ाया ही जाना चाहिए।”