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सीढ़ियां चढ़ने का बड़ा फायदा

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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वर्तमान में मनुष्य अपने शरीर से पसीना नहीं निकालना चाहता है। इसके लिए वे पैसे खर्च करके और अलग से समय निकालकर जिम जाते हैं। आप दस मंजिला भवन में रहते हैं और उसमे लिफ्ट सुविधा है तो अपने को भाग्यशाली समझते हैं। इस कारण आपका आना-जाना सुगम और सरल हो जाता है,और वह भी बिना थकावट के, पर कभी-कभी विद्युत ऊर्जा का प्रवाह न होने पर परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके लिए हमें सीढ़ी से चढ़ने की आदत डालना चाहिए। इससे न केवल आप परेशान नहीं होंगे,बल्कि स्वस्थ भी रहेंगे। ‘कोरोना’ महामारी के दौरान यह तरकीब कई तरह की बीमारियों से बचाव का एक तरीका बनी हुई है।
अक्सर लोग एक-दूसरे को लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का उपयोग करने की सलाह देते हुए दिख जाते हैं,लेकिन ऐसा शायद ही किसी ने सोचा होगा कि महामारी के दौर में सीढ़ियां चढ़ने के खास फायदे होंगे। कोरोना के चलते सार्वजनिक स्थानों पर जाना और शारीरिक रूप से बहुत अधिक सक्रिय रहना फिलहाल सभी के लिए बेहद कम हो गया है,ऐसे में वसा बढ़ना, रक्तचाप अधिक रहना,तनाव बढ़ना और शरीर में जगह-जगह दर्द रहने जैसी समस्याएं बहुत आम हैं,लेकिन जानकर हैरानी हो सकती है कि इन सभी समस्याओं के समाधान के रूप में सीढ़ियां चढ़ने-उतरने की प्रक्रिया को अपना सकते हैं। जी हाँ,एक ताजा शोध में यह बात सामने आई है। यदि आपको पहले भी अवसाद, तनाव जैसी समस्याएं रह चुकी हैं तो हर दिन सीढ़ियां चढ़ना-उतरना बहुत जरूरी है।
अध्ययन में यह भी सामने आया है कि, पड़ोस में रहने वाले लोगों के यहां जाना, उनसे कुछ देर बात करना भी आपको महामारी के दौरान कई तरह की समस्याओं से बचाने में काफी कारगर प्रक्रिया है,लेकिन इस दौरान आप कोरोना की मार्गदर्शिका का पालन जरूर करें। महामारी में तन और मन से जुड़ी सबसे अधिक संख्या में लोगों को प्रभावित करनेवाली बीमारियों को नियंत्रित करने के तरीकों पर आधारित यह अध्ययन ‘जर्नल साइंस एडवांस’ में प्रकाशित हुआ है।
यह शोध जर्मनी के २ अलग-अलग स्वास्थ्य संस्थानों ने मिलकर की है। शोध में इस बात का भी पता लगाया गया है कि सीढ़ियां चढ़ते और उतरते समय दिमाग का कौन-सा हिस्सा केन्द्रीय भूमिका अदा करता है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि दिमाग में सबजेनिकल सिंगुलेट कॉर्टेक्स का एक भाग सेरेब्रल कॉर्टेक्स मनुष्य की रोजमर्रा की जिंदगी और गतिविधियों के बीच तालमेल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह दिमाग का वह हिस्सा होता है,जहां इंसान की भावनाओं और मनोविकारों को नियमित किया जाता है।

इस आदत को डालने का सामान्य तरीका यह हो सकता है कि,आप कुछ दिन पहले माला सीढ़ी चलकर जाएँ,फिर लिफ्ट का उपयोग करें। इससे सीढ़ी चलने की आदत के साथ व्यायाम का भी बड़ा फायदा होगा।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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