कुल पृष्ठ दर्शन : 357

कटिबद्ध कुटुंब,कृतज्ञ राष्ट्र

जीवनदान चारण ‘अबोध’  
पोकरण(राजस्थान) 
******************************************************************

सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष………..


मानवता की महासदी में,काल बना है ‘कोरोना’,
माँ भारती तेरे चरणों में,अब चीनी त्रासदी रोको ना।

वुहान शहर से निकला विषाणु,संकट बना है विश्व का,
चीन जला अमेरिका जला,इंग्लैंड स्पेन इटली जला।

केरल तट से हुई घुसपैठ,हर लिया सुख भारत का,
सुनसान पथों पर विचरण करते,द्विजों को अब देखो ना।

सुख शहर का छिन गया,गाँवों में लगा दिल देखो ना,
हरपल देश-कुटुंब संग,निज स्वगृहों में रहो ना।

ऋणी रहेगा हिन्द मेरा उन,कर्तव्यनिष्ठ कर्मवीरों का,
बिना सहारे बिना विचारे,फर्ज निभाते रिश्तों का।

छिपा हकीकत फेंक पत्थर,क्या हाल किया है वीरों का,
आँखें नहीं,झुकी है गर्दन,तुम अब तो देश बचाओ ना।

नतमस्तक है कवि ‘अबोध’,तुम कर्तव्यपथ पर बढ़ो ना,
बचाव ही उपचार है,तुम बोलो ना तुम बोलो ना॥

परिचय-जीवनदान चारण का बसेरा  पोकरण(राजस्थान) में है। ‘अबोध’  आपका साहित्यिक उपनाम है। इनकी जन्म तारीख १३ जुलाई १९९४ एवं जन्म स्थान गांव पोस्ट आरंग है। श्री चारण का स्थाई पता आरंग(जिला बाड़मेर)है। परम्पराओं के लिए प्रसिद्ध राज्य राजस्थान के अबोध ने बी.एड. सहित बी.ए. और एम.ए. की पढ़ाई की है। आपका कार्यक्षेत्र अध्यापक (विद्यालय-पोकरण) का है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आप समाज सुधार,प्रचलित कुप्रथाओं को दूर करने के लिए अपने विचारों से सतत सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा-दोहे,श्लोक,ग़ज़ल, कविता(विशेष-संस्कृत में गीत,श्लोक, सुभाषित, लेख भी।) है। प्रकाशन में  ‘कलम और कटार’ (किताब)आपके नाम है तो रचनाओं का प्रकाशन पत्र-पत्रिका में भी हो चुका है। आपकी विशेष उपलब्धि-संस्कृत साहित्य में लेखन करना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-ईश्वर उपासना,देवी गुणगान और देशभक्ति है।  आपके लिए प्रेरणा पुंज स्वामी विवेकानंद जी हैं।

Leave a Reply