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संबंधों में मिठास

डॉ.पूर्णिमा मंडलोई
इंदौर(मध्यप्रदेश)

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सामाजिक सम्बन्ध और दूरी स्पर्धा विशेष………..


आज बहुत शांति है! पड़ोस के घर से किसी प्रकार का शोर सुनाई नहीं दे रहा है..! हो सकता है,सभी लोग कहीं गए हों! इस तरह के विचार मेरे मन में चलते रहे। इसी तरह शांति रहते हुए आज लगभग एक सप्ताह हो रहा है परंतु पड़ोस के घर से कोई आवाज नहीं आ रही है। यह शांति किसी अमंगल का प्रतीक तो नहीं..? ऐसा मुझे इसलिए लग रहा है क्योंकि जिस घर से लगभग रोज ही जोर जोर से बहस करने या लगभग लड़ाई जैसी आवाज आती हो,वहां सन्नाटा पसरा देखकर मन में बेचैनी हो रही थी।
पड़ोस के घर में रश्मि की तेज आवाज आती रहती थी। साथ ही उसके पति और देवर की आवाजें भी आती थी। कभी-कभी ससुर के भी कड़क स्वर सुनाई देते थे। ऐसा नहीं था कि वह लोग लड़ाई ही करते रहते थे। ऐसा तब से शुरु हुआ,जबसे रश्मि ब्याह कर इस घर में आई थी। वास्तव में रश्मि पढ़ी-लिखी होने के साथ-साथ नौकरीपेशा भी थी। वह बहुत ही सिद्धांतवादी थी,और आवाज एकदम तीखी थी। वह हमेशा ऊंचे स्वर में ही बात करती थी,जिससे ऐसा लगता था कि वह लड़ाई कर रही है। जो बात उसे पसंद नहीं होती तो वह उसका विरोध अवश्य करती थी। कभी-कभी बात ज्यादा बढ़ जाती तो घर के अन्य सदस्यों की आवाजें भी सुनाई देती थी। ऐसा लगने लगा था कि संबंधों में धीरे-धीरे कड़वाहट घुल रही है।
एक सप्ताह बाद मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने रश्मि की सासू माँ से पूछ ही लिया कि-” आंटी जी,रश्मि दिखाई नहीं दे रही है,क्या मायके गई हुई है ?” मेरा यह प्रश्न निराधार ही था क्योंकि मैं जानती थी कि यह मायके जाने का समय तो है नहीं। अभी तो बच्चों की परीक्षाओं का समय चल रहा है। आंटी जी ने बताया कि अब वह अपने पति बच्चों सहित किसी अन्य कॉलोनी में रहने चली गई है। बात यहीं खत्म नहीं हुई। मेरे मन में प्रश्नों का जो उबाल आया था,वह थम नहीं रहा था। अब आगे आने वाले समय में क्या परिस्थितियां होंगी,यह समझ नहीं आ रहा था।
अचानक एक दिन रविवार को रश्मि के हँसने की आवाज सुनाई दी। सुनकर आश्चर्य हुआ,परंतु खुशी भी बहुत हुई। अब अक्सर रश्मि अपने पति और बच्चों के साथ हर त्यौहार पर आती,कुछ घंटे रह कर चली जाती। उसे देख कर ऐसा लगा जैसे अब उसके मन में किसी के प्रति कोई मैल नहीं रहा। अब देवर भी अपनी भाभी से आदर का भाव रखने लगा। सभी बहुत प्रेम से रहने लगे। अब बहस नहीं ठहाके सुनाई देने लगे।अब संबंधों में मिठास लौट आई थी। मुझे मेरे प्रश्नों का उत्तर मिल गया था। मैं समझ गई थी कि संबंधों को जीवित रखने के लिए कभी-कभी अलगाव के मार्ग पर भी जाना पड़ता है। रश्मि के ससुर ने दो भाइयों को अलग कर संबंधों में दूरी नहीं बढ़ाई,बल्कि संबंधों को और अधिक मजबूत कर दिया। घर के मुखिया का कर्तव्य होता है,घर के सभी सदस्यों को सुख और शांति प्रदान करे। जिसके लिए घर में खुलकर बातचीत होना आवश्यक है। खुलकर बातचीत करने से कई मार्ग खुल जाते हैं,और परिवार में एकता बनी रहती है।
पारिवारिक जीवन का सत्य है कि,जहां घर में बहुत से बर्तन होते हैं,वहां उनमें टकराव अवश्य होता है। तब उन्हें अलग ही कर देना चाहिए।

परिचय–डॉ.पूर्णिमा मण्डलोई का जन्म १० जून १९६७ को हुआ है। आपने एम.एस.सी.(प्राणी शास्त्र),एम.ए.(हिन्दी), एम.एड. करने के बाद पी.एच-डी. की उपाधि(शिक्षा) प्राप्त की है। वर्तमान में डॉ.मण्डलोई मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित सुखलिया में निवासरत हैं। आपने १९९२ से शिक्षा विभाग में व्याख्याता के पद पर लगातार अध्यापन कार्य करते हुए विद्यार्थियों को पाठय सहगामी गतिविधियों में मार्गदर्शन देकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिलाई है। विज्ञान विषय पर अनेक कार्यशाला-प्रतियोगिताओं में सहभागिता करके पुरस्कार प्राप्त किए हैं। २०१० में राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान(जबलपुर) एवं मध्यप्रदेश विज्ञान परिषद(भोपाल) द्वारा विज्ञान नवाचार पुरस्कार एवं २५ हजार की राशि से आपको सम्मानित किया गया हैl वर्तमान में आप जिला शिक्षा केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर सहायक परियोजना समन्वयक के रुप में सेवाएं दे रही हैंl कई वर्ष से लेखन कार्य के चलते विद्यालय सहित अन्य तथा शोध संबधी पत्र-पत्रिकाओं में लेख एवं कविता प्रकाशित हो रहे हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य अपने लेखन कार्य से समाज में जन-जन तक अपनी बात को पहुंचाकर परिवर्तन लाना है।

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