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एक सीख

सुशीला रोहिला
सोनीपत(हरियाणा)
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लोहड़ी हो या मकर संक्रांति,
सीख दोनों की एक समान
आओ सब प्रेम-पर्व बनाएं,
सदभावना का प्रकाश फैलाएं।

भीष्म का पितृ प्रेम बन गया,
देशभक्ति का अटल खजाना
इच्छा मृत्यु का मिला वरदान,
देश सुरक्षित हो सदा मेरा
तब त्याग दूंगा मैं प्राण।

सुर्यदेव की रहमत बरसी,
देभक्त का करते हैं हम सम्मान
फौरन दिशा बदली अपनी,
आ गया मैं उत्तर नारायण
पितामह ने त्याग दिए प्राण।

लोहड़ी की सीख की धारणा,
गुड़-तिल हुए एक समान
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई,
प्रेम की बनें सब एक मिसाल।

सब उपद्रव छोड़ो करना,
राष्ट्र का ना हो नुकसान
राष्ट्र वसुदेव कुटुम्ब अपना,
आत्मा विद्या का प्रचार
भारतमाता विश्व गुरु हमारी,
प्रेम भावना का हो संचार॥

परिचय–सुशीला रोहिला का साहित्यिक उपनाम कवियित्री सुशीला रोहिला हैl इनकी जन्म तारीख ३ मार्च १९७० और जन्म स्थान चुलकाना ग्राम हैl वर्तमान में आपका निवास सोनीपत(हरियाणा)में है। यही स्थाई पता भी है। हरियाणा राज्य की श्रीमती रोहिला ने हिन्दी में स्नातकोत्तर सहित प्रभाकर हिन्दी,बी.ए., कम्प्यूटर कोर्स,हिन्दी-अंंग्रेजी टंकण की भी शिक्षा ली हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी विद्यालय में अध्यापिका(हिन्दी)हैंl सामाजिक गतिविधि के तहत शिक्षा और समाज सुधार में योगदान करती हैंl आपकी लेखन विधा-कहानी तथा कविता हैl शिक्षा की बोली और स्वच्छता पर आपकी किताब की तैयारी चल रही हैl इधर कई पत्र-पत्रिका में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका हैl विशेष उपलब्धि-अच्छी साहित्यकार तथा शिक्षक की पहचान मिलना है। सुशीला रोहिला की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, राजनीति, विश्व को आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार मुक्त करना है,साथ ही जनजागरण,नारी सम्मान,भ्रूण हत्या का निवारण,हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान प्रदान करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-हिन्दी है l आपकी विशेषज्ञता-हिन्दी लेखन एवं वाचन में हैl

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