कुल पृष्ठ दर्शन : 177

तुमसे मिलन की चाह में..

वकील कुशवाहा आकाश महेशपुरी
कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)

***************************************************************

तुमसे मिलन की चाह में इतना दिवाना हो गया,
कल ही मिला तुमसे मगर लगता ज़माना हो गया।

है याद आती चूड़ियों की खनखनाहट रातभर,
महसूस करता हूँ सदा मैं तेरी आहट रातभर
तेरी नज़र का हाय ऐसे दिल निशाना हो गया-
कल ही मिला तुमसे मगर लगता ज़माना हो गया॥

इक फूल के बिन बाग़ में भौंरे बहुत रोते सनम,
अब चैन मिलता है कहाँ जब तुम नहीं होते सनम
तेरे व मेरे बीच यह कैसा फ़साना हो गया-
कल ही मिला तुमसे मगर लगता ज़माना हो गया॥

ऐ चाँद क्यों रहने लगा तू बादलों के गाँव में,
मैं अबतलक बैठा नहीं हूँ गेसुओं की छाँव में
मैं गा नहीं पाया मुहब्बत वो तराना हो गया-
कल ही मिला तुमसे मगर लगता ज़माना हो गया॥

परिचय-वकील कुशवाहा का साहित्यिक उपनाम आकाश महेशपुरी है। इनकी जन्म तारीख २० अप्रैल १९८० एवं जन्म स्थान ग्राम महेशपुर,कुशीनगर(उत्तर प्रदेश)है। वर्तमान में भी कुशीनगर में ही हैं,और स्थाई पता यही है। स्नातक तक शिक्षित श्री कुशवाहा क़ा कार्यक्षेत्र-शिक्षण(शिक्षक)है। आप सामाजिक गतिविधि में कवि सम्मेलन के माध्यम से सामाजिक बुराईयों पर प्रहार करते हैं। आपकी लेखन विधा-काव्य सहित सभी विधाएं है। किताब-‘सब रोटी का खेल’ आ चुकी है। साथ ही विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। आपको गीतिका श्री (सुलतानपुर),साहित्य रत्न(कुशीनगर) शिल्प शिरोमणी सम्मान(गाजीपुर)प्राप्त हुआ है। विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी से काव्यपाठ करना है। आकाश महेशपुरी की लेखनी का उद्देश्य-रुचि है।

Leave a Reply