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एक माँ की मजबूरी

गीतांजली वार्ष्णेय ‘ गीतू’
बरेली(उत्तर प्रदेश)
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(`ऑटिज़्म` एक ऐसा मनोरोग है,जो बच्चे को तो दु:ख देता है और सबसे ज्यादा आहत होती है माँ। एक ऐसी ही माँ का दर्द-)
“गीता ओ गीता,(बाहर से आती आवाज से चौंककर बाहर आयी, गीता अभी अभी बेटे की थैरेपी कराके लौटी थीl)…”
“आइए भाभी क्या बात है,आप इतने गुस्से में।”
ऋतु-गीता शुभांश को पकड़कर रखो,मेरे सारे कपड़े नाली में डाल आया है।”
गीता-“भाभी शुभांश तो अभी-अभी मेरे साथ थैरेपी कराके लौटा है,ये कब डाल आया ?”
ऋतु-(थोड़ा शांत हुई,बोली)”बच्चे कह रहे थे।”
गीता की आँखों में आँसू थे। गीता की हर रोज की यही कहानी थी।उसका बेटा शुभांश `ऑटिज़्म` नामक मनोरोग से पीड़ित था। गीता एक अच्छी लेखिका के साथ-साथ एक शिक्षक भी थी। सारा दिन घर का काम,ड्यूटी,फिर बच्चे को थैरेपी के लिए ले जाना। बेटा कभी-कभी इतना उग्र(हाइपर) हो जाता,गीता संभाल न पाती। पति भी बस ताने- उलाहने देते रहते। हर गलत काम का दोष गीता को देते। गीता बिल्कुल टूट चुकी थी।
अब शुभांश १७ वर्ष का हो गया था,किन्तु उसके पागलपन में कमी न आई। आज तो घर से निकल गया,शाम हो गयी,वापस नहीं आया।उसने पति से विनती कर ढूंढने भेजा तो पता चला घर से १५ किमी. दूर भटक रहा थाl पुलिस उठाकर चाइल्ड केअर सेन्टर छोड़ आई।
गीता और उसके साथी दोस्त पति के साथ कागजी कार्यवाही करके उसे वापस लाए।
आज गीता ने निर्णय ले लिया था,और उसे स्पेशल स्कूल बोर्डिंग में भेज दिया। जो गीता बेटे को अपने से एक पल दूर नहीं रखती थी, आज मजबूर होकर बोर्डिंग भेजना पड़ा। गीता आज भी बेटे के लिए परेशान होती है,किंतु ये सोचकर संतुष्ट है कि कुछ तो सीखेगा।

परिचय–गीतांजली वार्ष्णेय का साहित्यिक उपनामगीतू` है। जन्म तारीख २९ अक्तूबर १९७३ और जन्म स्थान-हाथरस है। वर्तमान में आपका बसेरा बरेली(उत्तर प्रदेश) में स्थाई रूप से है। हिन्दी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाली गीतांजली वार्ष्णेय ने एम.ए.,बी.एड. सहित विशेष बी.टी.सी. की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में अध्यापन से जुड़ी होकर सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत महिला संगठन समूह का सहयोग करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,लेख,कहानी तथा गीत है। ‘नर्मदा के रत्न’ एवं ‘साया’ सहित कईं सांझा संकलन में आपकी रचनाएँ आ चुकी हैं। इस क्षेत्र में आपको ५ सम्मान और पुरस्कार मिले हैं। गीतू की उपलब्धि-शहीद रत्न प्राप्ति है। लेखनी का उद्देश्य-साहित्यिक रुचि है। इनके पसंदीदा हिंदी लेखक-महादेवी वर्मा,जयशंकर प्रसाद,कबीर, तथा मैथिलीशरण गुप्त हैं। लेखन में प्रेरणापुंज-पापा हैं। विशेषज्ञता-कविता(मुक्त) है। हिंदी के लिए विचार-“हिंदी भाषा हमारी पहचान है,हमें हिंदी बोलने पर गर्व होना चाहिए,किन्तु आज हम अपने बच्चों को हिंदी के बजाय इंग्लिश बोलने पर जोर देते हैं।”

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