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जन कर्फ्यू अपनाएं

गंगाप्रसाद पांडे ‘भावुक’
भंगवा(उत्तरप्रदेश)
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तुम अपने घर नमाज पढ़ो,
हम घर में करें आराधना।
जीवन चक्र है बारह घण्टे,
स्वतः मर जाएगा ‘कोरोना॥’

मोदी जन कर्फ्यू अभियान,
वैज्ञानिकता का प्रमाण।
आज चकित है सारा विश्व,
हमें क्यों न हुआ ये ज्ञान॥

जन कर्फ्यू की वैज्ञानिकता,
विषाणु वाहक न बने जनता।
तोड़िए कोरोना जीवनचक्र,
प्रण लें न बनेंगे विषाणु संवाहक॥

जन कर्फ्यू अपनाएं,
जाहिलों की न सुनें।
राष्ट्र आह्वान से जुड़ें,
कोरोना को भगाएं॥

न हिन्दू मरेगा,
न मुसलमान मरेगा।
कोरोना फैला तो,
सिर्फ इंसान मरेगा॥

आओ बढ़ते क्रम को तोड़ें,
खुद को जन कर्फ़्यू से जोड़ें॥

परिचय-गंगाप्रसाद पांडेय का उपनाम-भावुक है। इनकी जन्म तारीख २९ अक्टूबर १९५९ एवं जन्म स्थान- समनाभार(जिला सुल्तानपुर-उ.प्र.)है। वर्तमान और स्थाई पता जिला प्रतापगढ़(उ.प्र.)है। शहर भंगवा(प्रतापगढ़) वासी श्री पांडेय की शिक्षा-बी.एस-सी.,बी.एड.और एम.ए. (इतिहास)है। आपका कार्यक्षेत्र-दवा व्यवसाय है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त प्राकृतिक आपदा-विपदा में बढ़-चढ़कर जन सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-हाइकु और अतुकांत विधा की कविताएं हैं। प्रकाशन में-‘कस्तूरी की तलाश'(विश्व का प्रथम रेंगा संग्रह) आ चुकी है। अन्य प्रकाशन में ‘हाइकु-मंजूषा’ राष्ट्रीय संकलन में २० हाइकु चयनित एवं प्रकाशित हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक एवं राष्ट्रीय ज्वलंत समस्याओं को उजागर करना एवं उनके निराकरण की तलाश सहित रूढ़ियों का विरोध करना है। 

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