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कैसा हो अपना व्यवहार

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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आया मन में एक विचार,
कैसा हो अपना व्यवहार ?
सर्वत्र हो बस प्यार ही प्यार,
याद रखे हमे यह संसार।
ऐसा ही हो हमारा व्यवहार॥

कैसा हो अपना व्यवहार !
जैसा नहीं स्वयं हो स्वीकार।
करो ना ऐसा कोई आचार,
जिस बात लगे स्वयं प्यार…
वैसा ही हो अपना व्यवहार॥

कैसा हो सबका व्यवहार !
पैसा ही नहीं जीवन आधार।
केवल विनिमय माध्यम यह,
चलता नहीं केवल इससे संसार…
आवश्यक है सत्य विश्वास और प्यार॥

कैसा हो अपना व्यवहार !
सम्मुख हो रंक या राजा यार।
व्यवहार में हो समान आधार,
फैले सर्वत्र खुशियों की बौछार…
ऐसा ही हो हमारा व्यवहार॥

कैसा हो अपना व्यवहार !
करो अतिथियों का सत्कार।
ग्रहण करो बड़ों का आशीष सार,
कहना गुरूजनों का बनाओ कार्यआधार…
सुखी सम्पन्न हो जाएगा फिर संसार॥

कैसा हो अपना व्यवहार !
करो ना हिंसा अत्याचार।
ना किसी का हित खाओ यार,
बस बांटो प्रेम और प्यार…
शान्तिमय हो जिससे संसार॥

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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