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राह तेरी मैं तकूँ

नीलू चौधरी
बेगूसराय (बिहार)
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काव्य संग्रह हम और तुम से


राह तेरी मैं तकूँ तो मत कहो नादान है ये,
द्वार मेरे आ गए हो ईश का वरदान है ये।

पीर पल में सब भुलाकर,नत नयन तुझको निहारूं,
आगमन तेरा बताए,प्रेम का अनुदान है ये।

क्यों सहें इतना विरह हम जिन्दगी बेजार कर लें,
आ अधूरे इस मिलन को पूर्ण तो इस बार कर लें।

सात फेरों,सात वचनों को भुलाना है असंभव,
क्यों नहीं हम एक-दूजे को सतत स्वीकार कर लें।

कुछ नया रच गीत मैं अब तूलिका तेरी बनूँगी,
हर जगत की पीर क्यों मैं बाधिका तेरी बनूँगी।

देह से अब नेह कैसा तू जगत का पीर हंता,
कृष्ण बन रहना सदा,मैं राधिका तेरी बनूँगी॥

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