हरीश गिदवानी,
इंदौर (मध्यप्रदेश)
************************************
काव्य संग्रह हम और तुम से
बरसों से कहती आई हूँ
‘आई लव यू’ तुम्हें,
आज फिर कहना चाहती हूँ।
जब हम मिले थे
२१ के तुम थे,२० की मैं,
परिपक्व न तुम थे,अबोध थी मैं
बस कहती ही रही आई लव यू तुम्हें,
आज फिर कहना चाहती हूँ।
मुझमें सब खौफ थे
बेफिक्रे तुम थे,शरमाई-सी मैं,
लब छुए थे तुमने,सिमटी थी मैं
आँखें कहती रही आई लव यू तुम्हें,
आज फिर कहना चाहती हूँ।
बरस पे बरस बीत चुके
अब तुम हो बिज़ी,फ्री नहीं मैं,
ज़िंदगी है भागती,दौड़ती हूँ मैं
कब से नहीं कहा आई लव यू तुम्हें,
आज फिर कहना चाहती हूँ।
दौड़ते-भागते इस जीवन में
क्या खोया और क्या पाया हमने,
दो पल को तो तुम रुको,थमती हूँ मैं।
आज अभी ही कह रही हूँ…
आई लव यू,आई लव यू तुम्हें॥