साहित्यिक सम्मान में बात साहित्यकारों के स्वाभिमान की-सिद्धेश्वर

पटना (बिहार)। साहित्यिक समारोह गैर सरकारी हो या सरकारी, लेखकों-पत्रकारों और श्रोताओं के बीच में ही सुशोभित होता है। सिर्फ पुरस्कार पाने वाले लेखकों, परिवार के सदस्यों, विधायकों, मंत्रियों के…

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शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ का किया पुण्य स्मरण

इंदौर (मप्र)। श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति द्वारा कालजयी रचनाकार स्मरण की २०वीं श्रृंखला में इस बार समिति के सभापति व सम्पादक (वीणा) शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ के साहित्यिक कृतित्व एवं…

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नसीब मेरा

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:काफिया-हुआ, नुमा, सजा, कहा, भला, रहा, लगा, बुरा इत्यादि। रदीफ़-था नसीब मेरा... हसीन दिलकश मुहब्बतें थीं, मिटा हुआ था नसीब मेरा।यकीन होता अगर खुदी पर,…

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आजादी का पर्व मनाएं

प्रो. लक्ष्मी यादवमुम्बई (महाराष्ट्र)**************************************** आओ हम सब मिल, आजादी का पर्व मनाएं,स्वतंत्रता का परचम लहराएं। पंद्रह अगस्त के पावन पर्व पर, भाई-चारा और प्रेम बढ़ाएं,आओ हम सब मिल, आजादी का…

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जी चाहता है

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* जी चाहता है दूर कहीं चलीं जाऊं मैं,जी चाहता है पंख लगा आसमान में उड़ जाऊं मैंकभी न कभी मेरे सपनों को पंख लगेंगे,कभी न कभी…

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हिंदी की स्थानीय भाषाओं से कोई स्पर्धा नहीं

संसदीय राजभाषा समिति बैठक... नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि, हिन्दी की स्थानीय भाषाओं से कोई स्पर्धा नहीं है। सभी भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने…

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‘ढाई आखर पत्र लेखन प्रतियोगिता’, जीतिए ५० हजार रुपए

भोपाल (मप्र)। आप भारतीय डाक विभाग द्वारा आयोजित की जा रही ढाई आखर पत्र लेखन प्रतियोगिता में शामिल होकर ५० हजार रुपए तक पुरस्कार में जीत सकते हैं। इस प्रतियोगिता…

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आ भी जाओ श्याम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* तुम बिन रहा न जाय अब, आ भी जाओ श्याम।तरस रही मुरली श्रवण, मैं राधे प्रिय वाम॥ तुम बिन सब सूना समझ, हे गिरिधर…

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कितना बदला जम्मू-कश्मीर…

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** "ऐसे टकटकी लगाए क्या देख रहे हो काका ?""बेटे! वह देख थोड़ी-सी दूरी पर ही पीओके की नीलम वैली। हमारे देश का मुकुट। नदी के एक ओर…

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दोनों एक समान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* जाने कैसी भिन्नता, मान रहे हैं लोग।बेटा-बेटी भेद का, पाले बैठे रोग॥पाले बैठे रोग, बेटियाँ होतीं आहत।बेटी कभी न बोझ, करो नहिं ख़ुद को तुम क्षत॥कहता…

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