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शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ का किया पुण्य स्मरण

इंदौर (मप्र)।

श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति द्वारा कालजयी रचनाकार स्मरण की २०वीं श्रृंखला में इस बार समिति के सभापति व सम्पादक (वीणा) शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ के साहित्यिक कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर चर्चा हुई। उनके चित्र का अनावरण भी किया गया।
इस अवसर पर ‘सुमन’ जी के सुपुत्र सेवानिवृत्त डीआईजी अरुण प्रताप सिंह ने अपने संस्मरण साझा करते हुए बताया कि, मुझसे अधिक पिताजी को साहित्यकार जगत ज्यादा जानता था। उनके कुछ महत्वपूर्ण सिद्धांत रहे- समय की पाबंदी, किसी की बुराई न करना। उनके प्रिय कवि ‘निराला’ जी रहे तथा शहरों में सबसे अधिक वाराणसी, उज्जैन और पुणे को पसंद करते थे।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सरोज कुमार ने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि, ‘सुमन’ जी अद्भुत व्यक्तित्व थे। नागपंचमी पर उनका जन्मदिन मनाने के लिए अनेक साहित्यकार उज्जैन जाया करते थे। उन्होंने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि, उन्होंने हरिकृष्ण प्रेमी के विरुद्ध समिति के सभापति का पद जीता था, बाद में उन्हें इसका बहुत दुःख हुआ था। उनकी रचनाएं, गीत मन को मोह लेती थी। उन्होंने रचना की पंक्ति सुनाई- ‘यूं तो कितनी बार छली गई… पुलियों ने जब सरिता से आलिंगन माना वो कल-कल करती चली गई।’ मिट्टी की बारात, उधार की गांठ, प्रकृति पुरुष कालीदास जैसी रचनाओं के रचयिता ‘सुमन’ जी सबसे लोकप्रिय कवि के रुप में रहे। वरिष्ठ साहित्यकार सूर्यकांत नागर ने भी अपने संस्मरण सुनाए। अतिथि का स्वागत शॉल, श्रीफल के साथ किया गया।

इस अवसर पर घनश्याम यादव, राजेश शर्मा, समिति के प्रचार मंत्री हरेराम वाजपेयी, डॉ. पुष्पेन्द्र दुबे, प्रदीप नवीन, डॉ. आरती दुबे, सतीश राठी व मुकेश तिवारी आदि उपस्थित रहे।