साहित्य क्या है ?
ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जिसमें मानव के दर्शन हो, जो पावन पुण्य समर्पण हो। जो संस्कार की बोली हो, जो ताप निकंदन होली हो॥ जो वाहक हो परिपाटी का,…
ओम अग्रवाल ‘बबुआ’ मुंबई(महाराष्ट्र) ****************************************************************** जिसमें मानव के दर्शन हो, जो पावन पुण्य समर्पण हो। जो संस्कार की बोली हो, जो ताप निकंदन होली हो॥ जो वाहक हो परिपाटी का,…
राकेश सैन जालंधर(पंजाब) ***************************************************************** कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण का विराट रूप देख जैसे अर्जुन की आँखें चुंधिया गईं,जिव्हा निशब्द और हाथ-पांव शिथिल पड़ गए। लगभग वही स्थिति अयोध्या में श्रीराम…
अरुण कुमार पासवान ग्रेटर नोएडा(उत्तरप्रदेश) ******************************************************************* नियति बड़ी क्रूर होती है, मनुज बँधा नियति के हाथ, सारे यत्न व्यर्थ हो जाते, भाग्य नहीं जब होता साथ। बिन ब्याही माँ जन्म…
डॉ. स्वयंभू शलभ रक्सौल (बिहार) ****************************************************** भाग-६..... पश्चिम बंगाल लोक कला और संस्कृति के मामले में एक समृद्ध राज्य है...शांति निकेतन यात्रा संस्मरण की कड़ी में पश्चिम बंगाल के 'बाउल…
संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर(मध्यप्रदेश) ********************************************************************************** तुझसे मुलाकात तो एक बहाना है, फूलों को मौसम की रंगत दिखाना है बात लब पर आने को मचलती है, बहारें मौसम पर आने को…
इंदौरl श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इंदौर द्वारा प्रतिवर्ष २ समिति शताब्दी सम्मानों से हिन्दी सेवी साहित्यकारों को सम्मानित किया जाता है। समिति के प्रधानमंत्री प्रो. सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी ने बताया…
डॉ.जियाउर रहमान जाफरी नालंदा (बिहार) *********************************************************************** जब हम बिल्कुल छोटे थे, नहीं ज़रा भी मोटे थेl करते थे सब प्यार मुझे, देखते सौ-सौ बार मुझेl मम्मी दूध पिलाती थीं, नानी…
डॉ.अरविन्द जैन भोपाल(मध्यप्रदेश) ***************************************************** वर्तमान में देश में आवारा पशुओं का माँस उपयोग किया जा रहा है,और उसके बदले हम उससे अधिक राशि का रासायनिक खाद का उपयोग खेती में…
गोलू सिंह रोहतास(बिहार) ************************************************************** अब शाम ढले घर में नहीं बैठती है वो, अब दुपट्टे से अपने चेहरे को नहीं ढकती है वो। अब भय मुक्त है, अधिकार युक्त हैl…
डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************************** मनुष्य की भांति भाषाओं का भी अपना समय होता है,जो एक बार निकल जाने के बाद वापस नहीं लौटता। इसे हम संस्कृत,पालि,प्राकृत,अपभ्रंश इत्यादि के साथ…